सामाजिक सरोकार : रो रहा था चौराहे पर आदिवासी बालक, काफी दुख भरी है दास्तां, काफी प्रयास के बाद मिली सफलता
⚫ पिता का हो गया है निधन
⚫ मां ने कर ली दूसरी शादी
⚫ मासी के साथ आया था और बढ़ गया
हरमुद्दा
रतलाम, 15 जनवरी। शहर के शहर सराय क्षेत्र में बालक रो रहा था। आसपास के लोगों ने उसके रोने की वजह पूछी, मगर उसने कुछ नहीं बताया। तब क्षेत्र की लोगों ने समाजसेवी गोविंद काकानी से संपर्क किया। वे आए और उसे अस्पताल पुलिस चौकी ले गए। श्री काकानी और पुलिस की काफी मशक्कत के बाद उसने बताया। तब जाकर पता चला कि बालक की बहुत बड़ी दुख भरी दास्तां है। पिता का निधन हो गया है। मां ने दूसरी शादी कर ली, वह मासी के पास रहता है।
शहर सराय क्षेत्र में रो रहे बच्चे को जब समाजसेवी दुर्गेश धाकड़ और बंटी भाई ने उससे जानकारी हासिल करने की कोशिश की, परंतु वह रोता रहा। उन्होंने समाजसेवी काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव काकानी से संपर्क कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बच्चे को लेकर जिला चिकित्सालय पुलिस चौकी पर बुलवाया।
टोपी से निकली चर्चा और पहुंचे उद्देश्य तक
समाजसेवी काकानी ने जिला चिकित्सालय पुलिस चौकी पर प्रभारी अशोक शर्मा एवं आरक्षक कलसिंह मईडा की उपस्थिति में बच्चे को मनपसंद नाश्ता करवाया। उसके सिर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की टोपी लगी देखकर उससे पूछा यह टोपी कहां से मिली, तब उसने बताया मैंने गांव के संचलन में हिस्सा लिया था। ऐसे धीरे-धीरे बातों बातों में उस घर का पता पूछा तो उसने बताया मेरा नाम गोविंद पिता झाना डामर निवासी गांव रंगपुर बजरंगगढ़ रेलवे स्टेशन से आगे जाकर आता है। थाना थांदला जिला झाबुआ लगता है।
मासी के साथ आया और वह बिछड़ गया
इतनी जानकारी मिलने के बाद रंगपुरा गांव के चौकीदार राजेश से संपर्क किया और उसके घर तक खबर पहुंचाई। दोपहर 3 बजे बाद उसके परिवार के सदस्य दीनदयाल नगर रतलाम निवासी ने बताया कि इसका नाम गोविंद वसुनिया है। इसके पिता का स्वर्गवास हो गया और मां ने दूसरी शादी कर ली है। यह अपनी मासी उमा के पास रहता है। आज सुबह यह उनके साथ गांव से आया था और उनसे बिछड़ गया। उसे वह अपने घर दीनदयाल नगर ले जा रहे हैं, जहां से उसकी मासी उमा उसे लेकर वापस गांव चली जाएगी।
परिवार ने माना सभी के प्रति आभार
परिवार सदस्य ने सकुशल गोविंद को पाकर समाजसेवी गोविंद काकानी, दुर्गेश धाकड़, बंटी भाई, प्रधान आरक्षक अशोक शर्मा, आरक्षक कलसिंह मईडा का हृदय से आभार माना।