कर्मचारियों की बल्ले बल्ले : केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार का तोहफा, आठवें वेतन आयोग को दी मंजूरी

2016 में लागू हुआ था सातवां वेतन आयोग

फिर लागू होगा नए आयोग की सिफारिश

1 साल पहले ही मंजूरी

हरमुद्दा
दिल्ली 16 जनवरी। मोदी सरकार ने गुरुवार को केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से देशभर में लाखों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी है।

केंद्रीय मंत्री ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘’1947 से अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। पीएम मोदी ने एक रेग्युलर पे कमिशन बनाने का संकल्प लिया था, जिसके हिसाब से 2016 में सातवां वेतन आयोग शुरू हुआ था, जोकि 2026 तक चलना था, लेकिन उससे एक साल पहले ही सरकार ने इसे मंजूर कर दिया गया है।”

वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में एक बार किया जाता है ताकि कर्मचारियों के वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन में लगातार संशोधन करने के लिए सिफारिश की जा सके। महंगाई समेत कई फैक्टर्स के हिसाब से सैलरी और पेंशन में इजाफा किया जाता है। आखिरी वेतन आयोग यानी कि सातवें वेतन आयोग का गठन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार ने साल 2014 में किया था। इसके बाद 2016 में सिफारिशों को मोदी सरकार ने लागू किया था।

सातवें वेतन आयोग से पहले, चौथे, पांचवें और छठे वेतन आयोगों का कार्यकाल भी 10-10 सालों का था। इसी वजह सरकारी कर्मचारी काफी समय से आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग कर रहे थे।

संसद में भी आठवें वेतन आयोग को लेकर सवाल पूछा जा चुका है। हालांकि, उस समय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ किया था कि सरकार के पास फिलहाल आठवें वेतन आयोग के गठन के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसके बाद, ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लॉय फेडरेशन ने पिछले महीने दो टूक कहा था कि अगर नए साल पर आठवें वेतन आयोग को लेकर उनकी मांगों को नहीं मांगा गया तो देशव्यापी प्रदर्शन होगा। इसके साथ ही नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) ज्वाइंट कंसेलटेटिव मशीनरी ने भी केंद्रीय कैबिनेट सचिव को लेटर लिखकर तुरंत ही नए वेतन आयोग की मांग की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *