श्रद्धांजलि : ओड़िया साहित्य के एक युग का अंत, प्रसिद्ध कवि पद्म भूषण रमाकांत रथ का निधन

भारतीय प्रशासनीक सेवा में भी योगदान, रहे कई महत्वपूर्ण पदों पर
मुख्यमंत्री ने किया गहरा दुख व्यक्त
अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में किया अनुवाद
हरमुद्दा
भुवनेश्वर, 16 मार्च। प्रसिद्ध ओडिया कवि और पूर्व नौकरशाह रमाकांत रथ का 90 वर्ष की आयु में भुवनेश्वर में निधन हो गया। उनके निधन से ओडिया साहित्य में एक युग का अंत हो गया। राज्य के मुख्यमंत्री ने श्री रथ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

पद्म भूषण श्री रथ का जन्म 13 दिसंबर, 1934 को कटक में हुआ। श्री रथ ने रावेनशॉ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में एक प्रतिष्ठित कैरियर के बावजूद, जिसमें वे 1957 में शामिल हुए, साहित्य के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ। 1992 में सेवानिवृत्त होने से पहले, उन्होंने ओडिशा के मुख्य सचिव सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। रथ ओडिया कविता में एक प्रमुख व्यक्ति थे, जो अपने आधुनिकतावादी और दार्शनिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके प्रशंसित कविता संग्रहों में केते दिनारा (1962), संदिग्धा मृगया (1971), सप्तम ऋतु (1977), सचित्रा अंधारा (1982), श्री राधा (1985), और श्रेष्ठ कविता (1992) शामिल हैं। उनकी महान कृति श्री राधा के लिए उन्हें 1992 में प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
पद्म भूषण से भी हुए सम्मानित
कई साहित्यिक पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता, रथ को 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1984 में सरला पुरस्कार, 1990 में बिशुवा सम्मान और 2009 में साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया। साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में, उन्हें 2006 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
उनके योगदान को नहीं भूलेंगे कभी

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने प्रख्यात ओडिया कवि पद्म भूषण रमाकांत रथ के निधन पर गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें भारतीय साहित्य का एक महान कवि बताते हुए उनके योगदान को याद किया। शोक संदेश में सीएम माझी ने कहा, रमाकांत रथ ने अपनी कविताओं से साहित्य की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी। उनकी रचनाएं जैसे सप्तम ऋतु, श्री राधा, सचित्रा अंधारा, केते दिनारा, दुआरा एपत्रु और नया नया कहुका कहकु हमेशा याद की जाएंगी।
प्रशासनिक क्षेत्र में भी किया बहुत कुछ
उन्होंने यह भी बताया कि रथ ने कवि के तौर पर ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में भी ओडिशा के लिए बहुत कुछ किया। वे राज्य के विभिन्न विभागों में सचिव और ओडिशा के मुख्य सचिव भी रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि रथ ने ओडिया साहित्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
सीएम माझी ने कहा, उनका जाना साहित्य के लिए ऐसी कमी है, जिसे भरा नहीं जा सकता। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना जताता हूं। अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने के निर्देश दिए।