सामाजिक सरोकार : महर्षि अरविंद का जीवन दर्शन राष्ट्रधर्म, योग और मानवता की त्रिवेणी

⚫ साहित्यकार एवं लेखिका श्वेता नागर ने कहा

⚫ म.प्र. साहित्य अकादमी, संस्कृति विभाग म.प्र. शासन द्वारा महर्षि अरविन्द पर केंद्रित हुई व्याख्यानमाला

⚫ महर्षि अरविन्द के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का किया उल्लेख

हरमुद्दा
हरदा, 30 मार्च। महर्षि अरविंद का जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा .उनके आध्यात्मिक विचारों ने विश्व में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की महत्ता को रेखांकित किया। उनका व्यक्तित्व सूर्य के समान है जिसने संपूर्ण मानवजाति को चेतना के प्रकाश से आलोकित कर दिया। उनके राष्ट्रधर्म का अर्थ है राष्ट्र से ऊपर, राष्ट्र से बढ़कर और राष्ट्र के विरोध में कुछ नहीं। महर्षि अरविंद का जीवन दर्शन राष्ट्रधर्म, योग और मानवता की त्रिवेणी है।

यह विचार साहित्यकार, लेखिका और सीएम राइज शासकीय मॉडल स्कूल, सैलाना में व्याख्याता श्वेता नागर ने बतौर वक्ता व्यक्त किए। सुश्री नागर म.प्र. साहित्य अकादमी, संस्कृति विभाग म .प्र.शासन द्वारा महर्षि अरविन्द पर केंद्रित व्याख्यानमाला में संबोधित कर रही थी।

महर्षि अरविन्द के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का किया उल्लेख

उन्हें इस कार्यक्रम में महर्षि अरविन्द के जीवन दर्शन पर व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया था। उन्होंने महर्षि अरविन्द के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया, जिसमें अलीपुर जेल की घटना, जिसने महर्षि अरविन्द के जीवन को नया मोड़ दिया और वे आध्यात्मिक क्रांति के प्रणेता के रूप में उभरे।

भारतीय संस्कृति और मूल्यों को स्पष्ट किया महर्षि अरविंद ने

श्वेता नागर ने कहा कि श्रीमद भगवदगीता का महर्षि अरविंद के जीवन और दर्शन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गीता के कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग को आत्मसात किया। साथ ही महर्षि अरविन्द के उत्तरपाडा में दिए गए भाषण के महत्वपूर्ण बिंदुओं की भी व्याख्या करते हुए बताया कि महर्षि अरविंद ने अपने इस भाषण में राष्ट्रधर्म, सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और मूल्यों को स्पष्ट किया और इसे ही जीवन जीने की शैली बताया था।

डॉक्टर जैन ने शोध पर एक विचार किए व्यक्त

इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की जानी मानी साहित्यकार डॉ. शोभा जैन ने भी महर्षि अरविंद के शिक्षा दर्शन पर शोध परक विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरदा के प्रभु शंकर शुक्ल ने की। इस कार्यक्रम में साहित्य अकादमी म. प्र. के निदेशक डॉ. विकास दवे की विशेष उपस्थिति रही।

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