श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा, ब्रज, गोकुल, दिल्ली इस्कान मंदिरों श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम आज, कष्टों व ऋण से मिलती है मुक्ति

हरमुद्दा
रतलाम, 24 अगस्त। तिथियों के मतभेद के बीच श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा, ब्रज, गोकुल, दिल्ली सहित देश के कई स्थानों पर शनिवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव धार्मिक उल्लास एवं उमंग के साथ मनाया जा रहा है।
ज्योर्तिविद गोचर शर्मा ने बताया कि इस व्रत को करने से व्यक्ति संसार के कष्टों, बंधनों एवं ऋण से मुक्त हो जाता है।

मथुरा में भव्यातिभव्य आकर्षक विद्युत सज्जा

योगीराज श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भव्यातिभव्य आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। अपने आराध्य के जन्मदिन पर कुछ अलग ही छटा बिखेरने जा रही है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर 24 अगस्त शनिवार की रात्रि 12 बजे कान्हा का प्राकट्योत्सव होगा।

ब्रज में भी उल्लास

ब्रज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाई जाएगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर होने वाले ब्रज के मुख्य आयोजन में रात्रि 12:15 से 12:30 तक अभिषेक किया जाएगा। रात्रि 12:30 से 12:40 तक श्रृंगार आरती के दर्शन होंगे। इस बार यहां ठाकुरजी पुष्प तेजोमहल में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे।

द्वारिकाधीश मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव

द्वारिकाधीश मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव 24 अगस्त को मनाया जाएगा। 24 अगस्त को रात्रि 12 बजे शंखनाद के बीच ठाकुरजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

इस्कॉन मंदिर में उत्सव

इस्कॉन मंदिर में 24 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। शनिवार की रात 11:30 बजे से अजन्मा का अभिषेक शुरू होगा। जो कि रात 1 बजे तक चलेगा इसके पश्चात शृंगार आरती की जाएगी।

गोकुल में श्री कृष्ण जन्मोत्सव

गोकुल में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन 24 अगस्त को मनाया जाएगा। 24 को रात्रि 12 राजा ठाकुर, गोकुलनाथ आदि मंदिर में 24 को श्री कृष्ण जन्मोत्सव होगा। मंदिरों में ठाकुरजी के श्री विग्रह का अभिषेक होगा।

दिल्ली के अधिकतर बड़े मंदिरों में उत्सव

दिल्ली के अधिकतर बड़े मंदिरों में उत्सव उल्लास आज
दिल्ली के अधिकतर बड़े मंदिरों में शनिवार को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मंदिरों की ओर से जारी कार्यक्रमों के अनुसार, इस्कॉन मंदिर को थाईलैंड, बेंगलुरु व महाराष्ट्र से लाए फूलों से सजाया गया है।

ऐसे करें जन्‍माष्‍टमी की पूजा

ज्योर्तिविद श्री शर्मा ने “हरमुद्दा” को बताया कि भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा नीशीथ काली यानी कि आधी रात को ही जाती है। मान्‍यता है कि माता देवकी ने मथुरा स्थित कंस के कारागार में कृष्‍ण को आधी रात में जन्‍म दिया था। कंस के डर से देवकी के पति वसुदेव ने कृष्‍ण को टोकरी में रखकर रातों रात बाबा नंद और माता यशोदा के घर नंदगांव पहुंचा दिया। बहरहाल, जन्‍माष्‍टमी की पूजा शुरू करने से पहले रात 11 बजे फिर से स्‍नान कर लें।
जन्‍माष्‍टमी की पूजा के लिए चौकी, लाल वस्‍त्र, बाल गोपाल की मूर्ति, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, घी, रूई की बत्ती, धूप, चंदन, अक्षत, तुलसी ,पंचामृत, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान/नैवैद्य, फल, बाल गोपाल के लिए वस्‍त्र, श्रृंगार की सामग्री (मुकुट, मोतियों की माला, बांसुरी और मोर पंख), इत्र, फूलमाला, फूल और पालना। एकत्र कर पूजन लिए बैठे। सभी सामग्री रख लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद पालने को सजा लें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर लड्डू गोपाल की मूर्ति स्‍थापित कर पूजा प्रारंभ करें।
इसका करें उच्चारण

जगन्नाथाय नमस्तुभ्यं संसार भय नाशनम।
जगदीश्वराय देवाय भूतानाम पत्ये नमः।।
कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसके तहत 16 चरणों को शामिल किया जाता है। इस तरह व्रत पूजन से व्यक्ति संसार के कष्टों, बंधनों, और ऋण से मुक्त होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *