प्रदेश सरकार ने अबतक 100 से अधिक वायदों को किया है पूरा : जलसंसाधन मंत्री
🔳 मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान मंत्री कराड़ा ने अवगत कराया
हरमुद्दा
शाजापुर, 18 नवंबर। प्रदेश सरकार ने आमजन के हित में अबतक किए कार्यों की जानकारी देने के उद्देश्य से प्रदेश के जलसंसाधन मंत्री हुकुमसिंह कराड़ा ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार ने अपने वचन-पत्र में से 100 से अधिक वायदो को पूरा कर दिया है। राज्य सरकार वचन-पत्र को पूरा करने के लिए संकल्पित है।
इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत, पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
फ्लेक्स-बैनर पर प्रतिबंध लगाकर किया ऐतिहासिक कार्य
मंत्री श्री कराड़ा ने अवगत कराया कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर फ्लेक्स-बैनर आदि लगाने पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक काम किया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अतिवृष्टि के कारण आई आपदा से निपटने के लिए लगभग 18 हजार करोड़ारुपए व्यय किए हैं। इसके कारण राज्य सरकार के पूर्व से निर्धारित कार्यों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में थोड़ा विलम्ब हुआ है। राज्य सरकार को प्राकृतिक आपदा के लिए राहत राशि के रूप में केन्द्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हुई है। राज्य सरकार ने अपने मदों में कटौती कर प्राकृतिक आपदा के दौरान पीड़ितो को राहत पहुंचाने का कार्य किया है। उन्होंने राहत पहुंचाने में मददगार बने शासकीय सेवको और अशासकीय संगठनो को भी धन्यवाद दिया है। इस अवसर पर उन्होंने विभागीय कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में जलसंसाधन विभाग द्वारा लगभग 33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है तथा अगामी 5 वर्षों में प्रदेश में 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। हर खेत को पानी उपलब्ध कराने तथा गिरते जल स्तर और पानी के अपव्यय की रोकथाम के लिए इजराईल की तकनीक के आधार पर सूक्ष्म प्रणाली विकसित की जायेगी। यह धन राशि राज्य सरकार अपने स्त्रोतों से एकत्रित करेगी। वर्ष 2018-19 में रबी फसल हेतु 27.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस वर्ष 2019-20 में 4 लाख हेक्टेयर की वृद्धि करते हुए कुल 31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
सिंचाई के क्षेत्र में होगा विकेंद्रीकरण का कार्य
उन्होंने बताया कि नहरों में पानी के अपव्यय को रोकने के लिए लाईनिंग का काम करेंगे। सिंचाई विभाग विभागीय कार्यों के क्रियान्वयन में अन्य लोगों की भागीदारी भी बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इसी तरह राज्य सरकार सिंचाई के क्षेत्र में विकेन्द्रीयकरण का काम भी किया जायेगा, इससे किसी एक अधिकारी के पास सभी योजनाओं की जिम्मेदारी नहीं रहेगी। बेहतर जल प्रबंधन, पानी के बटवारे आदि के लिए सिंचाई पंचायतों का गठन करने का भी विभाग द्वारा निर्णय लिया गया है। जल समितियों में पहले आपसी विवाद होते थे, इसके लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि जिस तरह ग्राम पंचायतों के चुनाव होते हैं, उसी तरह सिंचाई पंचायतों के भी चुनाव होंगे और इसका कार्यकाल 5 वर्ष रहेगा। इन सिंचाई पंचायतों को निर्णय लेने के अधिकार भी दिए जायेंगे। प्रदेश में वृहद सिंचाई योजनाओं के तहत निर्मित जलाशयों के रखरखाव के लिए सरकार ने गहरीकरण कराने का भी निर्णय लिया है। इस कार्य के लिए भी टेंडर निकाले जाएंगे। गहरीकरण के दौरान निकलने वाली रेत की नीलामी की जाएगी। वही उपजाऊ मिट्टी को किसानों को खेत में डालने के लिए दी जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बहुत बड़ा हिस्सा आज भी असिंचित है। यहां सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।
शिक्षा प्रणाली खर्चीली किंतु फायदेमंद
उन्होंने बताया कि सूक्ष्म प्रणाली खर्चीली जरूर है पर फायदेमंद है। विश्व में छाई मंदी का असर भारत पर भी पड़ा है। कृषि एवं सिंचाई के माध्यम से प्रदेश में मंदी से निपटने का काम करेंगे। प्रदेश में 500 से अधिक परियाजनाएं चल रही है। साथ ही 118 नई परियोजनाएं भी स्वीकृत की गई है। इस प्रकार जल क्षमता बढ़ाकर सूक्ष्म योजना से 4 लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई संभव हो सकेगी। आय बढ़ाने के लिए प्रदेश में निवेश बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार आम लोगो के हित में सदैव कार्यरत् रहेगी।
यह अभी से मौजूद
इस अवसर पर उन्होंने मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का भी उत्तर दिया। इस दौरान योगेन्द्र सिंह जादौन (बंटी बना), आशुतोष शर्मा, सचिन पाटीदार, बाबुभाई खरखरे, माणकचन्द बोथरा, वीरेन्द्र सिंह गोहिल, अमरसिंह बकानी, कालूसिंह कुण्डला भी मौजूद थे।