सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है भारतीय संविधान : डॉ. चांदनीवाला
🔳 संविधान दिवस पर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद द्वारा हुई परिचर्चा
हरमुद्दा
रतलाम, 26 नवंबर। भारतीय संविधान सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है। भारत के नागरिकों ने संविधान को आत्मर्पित किया है। भारत का संविधान राष्ट्रधर्म का ग्रंथ है।भारत का संविधान उस बुजुर्ग की तरह है जो पूरे परिवार का मार्गदर्शन करता है। संविधान भारत का मार्गदर्शक ग्रंथ है।
यह विचार साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने व्यक्त किए। डॉ. चांदनीवाला मंगलवार को संविधान दिवस पर अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद रतलाम इकाई द्वारा आयोजित परिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता के रूप मौजूद थे। प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता के मुख्य अतिथि एवं जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार की अध्यक्षता में न्यायालय परिसर के नवीन सभागृह में परिचर्चा का आयोजन किया गया। विशेष अतिथि के रूप कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अनिल भाटिया उपस्थित थे।
विश्व की समस्त अच्छी बातों का समावेश संविधान में
भारत के संविधान में विश्व की समस्त अच्छी बातों का समावेश किया गया है। सारी अच्छाईयों को स्वीकार किया गया है। संविधान में अधिकार और कर्तव्य का समावेश किया गया है। विश्व का श्रेष्ठ संविधान हमारे पास है। संविधान ने कानून की व्याख्या जनसाधारण के पक्ष में की है। समय -समय पर संविधान में संसोधन किए गए है।
🔳 दीपक गुप्ता, प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश
तभी कहलाएंगे सच्चे भारतीय
भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान में उल्लेखित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। अधिकारों के प्रति जागरूकता के साथ ही कर्तव्य के प्रति सक्रियता भी दिखानी जरूरी है, तभी सच्चे भारतीय कहलाएंगे।
🔳 दशरथ पाटीदार, अध्यक्ष, अभिभाषक संघ,
किया अतिथियों का स्वागत
स्वागत उद्बोधन अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष किशोर मंडोरा ने दिया। प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत कमलेश भंडारी, उदय चन्द्र कसेड़िया, राकेश मेढ़ा, सवालिया पाटीदार, नंदकिशोर कटारिया, समरथ पाटीदार, विवेक उपाध्याय ने किया।कार्यक्रम का संचालन परिषद के महामंत्री सतीश त्रिपाठी ने किया आभार विस्मय चतर ने माना। इस दौरान बड़ी सख्या में न्यायाधीशगण व अभिभाषकगण उपस्थित थे।