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मुद्दा यह कि सर्वेक्षण स्वच्छता का था या सुंदरता का, जनता के साथ सरासर धोखा

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🔳 पसरा हुआ है गंदगी का आलम

🔳 नालिया गंदगी से है लबरेज

🔳 अधिकारी मान रहे हैं रंगी पुती डिजाइन दार दीवारों को स्वच्छता

हरमुद्दा
रतलाम, 23 जनवरी। यह तो समझ से बिल्कुल भी परे है कि शहर में स्वच्छता का सर्वेक्षण हुआ है या फिर सुंदरता का। जिम्मेदार अधिकारियों ने स्वच्छता के नाम पर शहर के कुछ क्षेत्र की दीवारें चित्रों से रंगवा दी। सुलभ कांप्लेक्स पर रंग रोगन कर डिजाइन बना दी, लेकिन गंदगी साफ नहीं हुई। स्वच्छता कहीं नजर नहीं आई और न ही आ रही है। नालिया गंदगी से लबरेज है। सुलभ कांप्लेक्स से बदबू आ रही है। सर्वे करने वाले कौन सा चश्मा लगाकर क्या देखकर और क्या सोच कर गए या फिर उन्हें भेजा गया यह कोई नहीं जानता। शहर विधाकय भी आंखे मूंदे हैं।

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शहर की दुर्दशा, गंदगी और अस्वच्छता से शहरवासी ही नहीं अपितु जिले भर के लोग परिचित हैं फिर भी स्वच्छता के नाम पर सुंदरता का आवरण चढ़ाया गया।
जिम्मेदारों को स्वच्छता से न तो तब लेना देना था और ना ही अब कोई लेना-देना है। चाहे मोहल्ले की गलियों की नालियां हो या फिर चौराहे की चिल्ला चिल्लाकर पोल खोलने वाली नालिया।

आखिर यह नजर क्यों नहीं आता

लगता है यह किसी को नजर नहीं आई या फिर सर्वे करने वालों को यह दिखाया ही नहीं गया या फिर उन्हें उस और आने ही नहीं दिया गया, वरना स्वच्छता की पोल अवश्य खुल जाती।

साफ हुआ है तो खजाना

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झाली तालाब पर लगा सेल्फी प्वाइंट

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समाजसेवी राजेश रांका का कहना है कि स्वच्छता के नाम पर शहर के कालिका माता क्षेत्र तरफ दीवारों पर चित्रकारी कर दी गई। आई लव रतलाम का बोर्ड लगाकर सेल्फी प्वाइंट बना दिया गया। बगीचे में गारा डाल कर पौधे लगवा दिए, लेकिन स्वच्छता के लिए ना तो नालिया साफ हुई, न ही गंदगी साफ हुई और न ही सड़कें साफ हुई। बस साफ हुआ है तो खजाना।

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शहर की दीवारों और अन्य स्थानों को सजाने और संवारने के लिए करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं लेकिन स्वच्छता के नाम पर कुछ भी नहीं।

बाजना फोरलेन के मुहाने पर ही चौड़ी नाली की गंदगी

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आज भी बाजना फोरलेन के मुहाने पर ही चौड़ी नाली खुली पड़ी है। गंदगी से बदबू आ रही है। नही देखा तो बता दें कि इस चौराहे से एक रास्ता बाजना की ओर, एक रास्ता लक्कड़पीठा चांदनीचौक की ओर, एक रास्ता गौशाला की ओर तो एक रास्ता अमृत सागर की ओर जाता है। आया समझ में। यहां नाली धीरे धीरे नाले का रूप ले रही है। कीड़े कुल बुला रहे हैं। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं गया। क्षेत्रीय दुकानदारों ने बताया कि ना तो बड़ी नाली से गंदगी साफ होती है और नहीं कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जाता है। बदबू के कारण आसपास के दुकानदार परेशान हैं, मगर क्षेत्र के दरोगा ध्यान नहीं देते। स्वच्छता सर्वेक्षण में भी ध्यान नहीं दिया गया।

जिला चिकित्सालय में गंदगी फेल रही सड़क पर

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वही जिला चिकित्सालय में भी शौचालय की गंदगी सड़क पर फैली हुई है। नालियां गंदगी से सनी हुई है मगर स्वास्थ्य ठीक करने वाले जिला चिकित्सालय की सेहत ही खराब पड़ी हुई है स्वच्छता के मामले में।

जिला चिकित्सालय में बहती गंदगी

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जिम्मेदार घूमे शहर में और देखें

जिम्मेदार यदि शहर में घूमेंगे तो पता चलेगा कि ना तो सड़कों पर झाड़ू लग रही है और नहीं नालियों की सफाई हो रही है। नेता प्रतिपक्ष यास्मीन शेरानी के वार्ड ओझा खाली में नालिया गंदगी से लबरेज हैं मच्छर भिन्न-भिन्न कर रहे हैं। बदबू आ रही है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बाहर निकलना तक दुश्वार हो रहा है।

बहता है सड़कों पर नालियों का पानी

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सेठजी का बाजार में रहने वाली ब्यूटीशियन रानी सोनी ने बताया कि सालों से नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है गंदगी साफ होती नहीं है। सड़कों पर झाड़ू लगती नहीं। सेठजी का बाजार नालियों की गंदगी सड़कों पर फेल रही। शहर में एक कोने पर सुंदरता के कुछ कार्य हुए हैं, अच्छी बात है लेकिन स्वच्छता के मामले में शहर काफी गंदा है। जिम्मेदार कार्य नहींं कर रहे और अधिकारी काम करवाने में नाकारा सिद्ध हो रहे हैं।

जज्बा नहीं है विकास का

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युवा आदित्य सोनी कहना है कि दशकों से शहर का दुर्भाग्य रहा है कि महापौर, विधायक, सांसद के साथ जिला प्रशासन के जिम्मेदारों का भी विकास के प्रति रुझान व जज्बा नहीं रहा। शहर की हरेक गलियों व बाजारों में विकास की ऐसी गंगा बह रही जिससे गंदगी फेल रही है। शहर को कब्रस्तान बना रखा है। इंदौर से भी सीखनेे की तमन्ना जिम्मेदार अधिकारियों में नहीं है जबकि वह भी नगर निगम के आयुक्त ही हैं, महापौर हैं। इंदौर में जिम्मेदारों में काम करवाने का माद्दा है और शौक भी, मगर रतलाम के जिम्मेदार ठीक विपरीत है।

सुलभ कांप्लेक्स सजाए गमलों से

यह तो शहरवासियों ने भी देखा कि शहर के अधिकांश सुलभ कांप्लेक्स को गमलों से सजाया गया था। अधिकांश जगह से गमले उठा लिए गए। कुछ जगह यारियां बनाकर पौधे भी लगवाए गए थे।

टंकी है, पाइप भी है मगर नल व पानी नहीं

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नेहरू स्टेडियम के यहां का सुविधा घर

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व्यापारी योगेश पालीवाल ने कहा कि मुद्दे की बात तो यह है कि सुलभ कांप्लेक्स उपयोग कर सफाई के लिए शहर वासियों को नलों से पानी नहीं मिला और नहीं मिल रहा है। टंकी है पाइप लाइन भी है मगर नल व पानी नहीं है। नतीजतन ऐसे तमाम छोटे-छोटे सुलभ कांप्लेक्स से बदबू आ रही है। गंदगी का साम्राज्य है।

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सैलाना बस स्टैंड चौराहे पर बने सुलभ कांप्लेक्स से इतनी बदबू आती है कि राहगीरों को नाक पर हाथ रखना पड़ता है तब जाकर निकल पाते हैं। ऐसी स्थिति एक दो जगह नहीं अपितु कई स्थानों पर है। सैलाना बस स्टैंड का सुलभ कांप्लेक्स हो या फिर त्रिवेणी मुक्तिधाम का मूत्रालय। नेहरू स्टेडियम के यह भी देख सकते है। कोई भी स्थान हो।

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थप थपाई खुद की पीठ

नए साल में पहले दिन ही प्रिंट मीडिया ने छपा की स्वच्छता के मामले में शहर की रैंकिंग का आंकड़ा जो पहले 60 के ऊपर था वह अब 40 के आसपास आ गया है। इससे नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी फुले नहीं समाए। अपनी पीठ खुद थप थपाई।

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मैं बात करता हूं कलेक्टर

सर्वेक्षण तो स्वच्छता का ही था मगर शहर में गंदगी है सुलभ कांप्लेक्स में पानी नहीं है बदबू आ रही है नालियों की सफाई नहीं हो रही है। विधायक के नाते नगर निगम से सीधा हस्तक्षेप नहीं है फिर भी मैं इस संबंध में कलेक्टर से बात करता हूं।

🔳 चैतन्य काश्यप, विधायक, रतलाम शहर

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एक करोड़ खर्च हो गए सुंदरता पर

स्वच्छता के तहत झाली तालाब क्षेत्र में सुंदरता के लिए एक करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। शहर के अन्य क्षेत्रों में भी सौंदर्य के कार्य होंगे ताकि स्वच्छता बनी रहे।

🔳 एसके सिंह आयुक्त, नगर निगम, रतलाम

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