जिस दुनिया की तरफ भाग रहे हो, उसकी मानसिकता ही उल्टी : राजेश मुनि
हरमुद्दा
रतलाम, 5 फरवरी। हम जिस दुनिया की ओर भाग रहे हैं,उस दुनिया की तो मानसिकता ही उल्टी है। ऐसी दुनिया में किसी का जन्मदिन मनाया जाता है, तो मोमबत्ती बुझाई जाती है और जब किसी की मृत्यु होती है तो मोमबत्ती जलाते हैं। ऐसी उल्टी दुनिया की सोच को छोड़कर सद्गुरु की शरण ग्रहण करना चाहिए। पत्थर तभी तक सलामत है,जब तक पहाड़ से लगा है। पत्तियां भी तब तक सलामत रहती है, जब तक वृक्ष से जुड़ी रहती है। शिष्य भी तब तक सुरक्षित है, जब तक गुरु से जुड़ा है।
यह बात अभिग्रहधारी, उग्र विहारी, तप केसरी श्री राजेशमुनि जी ने कही। नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेम और समन्वय बनाने के लिए टाइम, टच, टाक, और ट्रस्ट अत्यंत जरूरी है। कई जगह झुककर रहना जरूरी होता है और झुककर रहने के लिए लगातार अच्छी बातों का चिंतन आवश्यक होता है। खेत में बीज ना डालो,तो वह घास-फूस से भर जाता है। इसी प्रकार दिमाग में यदि अच्छे विचार नहीं डालें,तो वह बुरे विचारों से भर जाएगा।
गुरु के पास भी मिलता है बहुत कुछ
मुनिश्री ने कहा कि दो मूर्खों का झगड़ा होता है,तो जिसकी आवाज तेज होती है वह जीतता है। लेकिन जब दो ज्ञानियों का झगड़ा होता है,तो जो सबसे कम बोलता है,वह जीतता है। कुछ चीजें पास जाने पर अपने आप प्राप्त होती हैं, जैसे जल के पास शीतलता, वृक्ष के पास छाया, चंदन के पास सुगंध, सूर्य से प्रकाश। इसी प्रकार भगवान और गुरु के पास जाने पर भी कुछ चीजें अपने आप प्राप्त होती है।
दुनिया जोड़ी एक ही जूते चप्पल की
मुनिश्री ने कहा कि दुनिया में जोड़ी एक ही जूते चप्पल की होती है। इसमें एक गुम हो जाए, तो दूसरा काम में नहीं आता। ऐसे ही ज्ञानी गुरु और विनीत शिष्य हो, तो जोड़ी चलती है। पोस्टकार्ड की कीमत कम, अंतरदेशी की कीमत अधिकऔर लिफाफे की कीमत उससे भी अधिक होती है। पोस्टकार्ड में गोपनीयता कम और लिफाफे में अधिक है। उसी प्रकार व्यक्ति जितनी ज्यादा गोपनीयता रखता है,उतना ज्यादा गुरु का विनय कर पाता है। उन्होंने कहा कि तस्वीर में हमारे साथ जो खड़े रहते हैं, वे हमारे नहीं हो सकते, मगर जो तकलीफ में अपने साथ खड़ा हो, वह अपना है। गुरु भी हमेशा तकलीफ में खड़े रहते हैं, इसलिए गुरु की आज्ञा में रहने वाले को सुख-चैन की प्राप्ति होती है। साइकिल में चैन नहीं हो, तो किसी काम की नही होती, उसी प्रकार जीवन में चैन नहीं हो तो,वह भी किसी काम का नहीं है। धर्म सभा को श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. ने भी संबोधित किया। संचालन सुनील गांधी द्वारा किया गया। मुनिश्री के प्रवचन प्रतिदिन श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रातः 9 :15 से 10: 15 बजे तक आयोजित हो रहे है।श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल, श्री सौभाग्य प्रकाश युवक मंडल, सौभाग्य जैन महिला मंडल,श्री सौभाग्य अणु बहु मंडल, श्री सौभाग्य प्रकाश बालक-बालिका मंडल ने समाजजनो से इस दौरान अधिक से अधिक उपस्थित होकर धर्मलाभ लेने की अपील की है।