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कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरी सतर्कता बरतें : कलेक्टर

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⬛ शासकीय एवं निजी चिकित्सकों की हुई कार्यशाला

हरमुद्दा
शाजापुर, 07 फरवरी। कलेक्टर डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में नोवेल कोरोना वायरस के संबंध में सर्तकता बरतने के लिए शासकीय एवं निजी चिकित्सकों की कार्यशाला हुई।

कार्यशाला में सीएमएचओ डॉ. प्रकाश विष्णु फुलंब्रीकर, सिविल सर्जन डॉ. शुभम गुप्ता, डॉ. प्रकाश पंडित, डॉ. राजकुमार पाटीदार, डॉ. उमेश गुप्ता, डॉ. एस. खण्डेलवाल, डॉ. एस.डी. जायसवाल, डॉ. अजय सिंह सोन्ती, डॉ. प्रवीण सिंह गौर, डॉ. सदाशिव पारिख, डॉ. सुमित यादव, डॉ. शैलेश ठाकुर, डॉ. ए.आर. हावड़िया एवं डॉ. ए.के. बरेठिया भी मौजूद थे।

कार्यशाला में कलेक्टर डॉ. रावत ने बताया कि कोरोना वायरस के संबंध में राज्य शासन द्वारा सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि इसकी सघन जांच हो। जिले में बाहर से आने वाले आमजनों की जांच आवश्यक है। इसके बचाव एवं इसके लक्षणों की जानकारी आमजन को विभिन्न माध्यमों से दी जाए।

परिजनों को भी करें सावधान

उन्होंने निजी चिकित्सकों से अनुरोध किया कि संदिग्ध मरीज आने पर बिना विलम्ब किए निजी चिकित्सक तत्काल मरीज की स्क्रीनिंग करवाए। संदिग्ध मरीज मिलने पर उसके परिवार के सदस्यों को भी सावधान करें। उन्होंन कहा कि पुलिस और प्रशासन से सूचनाओं के आदान प्रदान निरंतरता बनी रहेगी।

संदिग्ध मरीजों को 14 दिन तक रखा जाए आईसोलेशन

सीएमएचओ डॉ. फुलंब्रीकर ने कहा कि यदि जिले से कोई चीन गए हो और वे 15 जनवरी के बाद वापस आए हो तो उनकी सूचनाएं प्राप्त कर स्क्रीनिंग करवाए। संदिग्ध मरीजों को 14 दिन तक आईसोलेशन में रखा जाएगा। शाजापुर, कालापीपल और शुजालपुर में आईसोलेशन वार्ड बनाए गए है। संदिग्ध मरीजो को आमजन से दूर रखा जाएगा। आईसोलेशन में रखने के बाद इन लोगो की दिन में दो बार निगरानी की जाएगी। निगरानी के दौरान उन्होंने सभी चिकित्सको से सावधानी रखने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि संदिग्ध मरीजो को एन-95 मॉस्क दिया जाएगा और उससे जुड़े हुए लोगों को ट्रिपल लेयर मॉस्क दिए जाएंगे। मरीजो के सेम्पल विशेष रूप से पैक किए जाएंगे और उन्हें एमजीएम कॉलेज इंदौर जांच के लिए भेजा जाएगा।

14 दिन तक सक्रिय रहता है वायरस

उन्होंने जिला एवं पुलिस प्रशासन से बाहर से आने वाले लोगो की सूचना देने में सहयोग देने का अनुरोध किया। वायरस 14 दिनों तक सक्रिय रहता है, इसलिए मरीजो की 14 दिन तक निगरानी की जाएगी। उन्होंने आमजन से भी कहा कि यदि कोई संदिग्ध मरीज चीन से आया हो तो उसकी तुरंत सूचना दें। संदिग्ध मरीजो के साथ-साथ उसके परिवार की भी सुरक्षा के लिए कदम उठाए जांएगे। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के लिए अभी तक कोई एण्टीडोज नहीं बना है। इसलिए मरीजो का लक्षण के आधार पर उपचार किया जाएगा।

कोरोना वायरस के लक्षण

गंभीर श्वसन संक्रमण Severe Acute respiratory infection ¼ SARI ½ से पीड़ित भर्ती मरीज जिसे खांसी व बुखार की तकलीफ रही है तथा जिसका कारण स्पष्ट न हो, तेज बुखार ¼ 238 C ½] खाँसी, गले में खराश, साँस फूलना, लक्षण प्रकट होने के पहले 14 दिन के भीतर चीन के हुबई राज्य के वुहान शहर की यात्रा की हो, कोई स्वास्थ्य कर्मी जो गंभीर श्वसन संक्रमण Severe Acute respiratory infection ¼ SARI ½ के मरीज के संपर्क में आया हो चाहे उसकी ट्रेवल हिस्ट्री न हो, मरीज जिसमें असामान्य तथा असंभावित लक्षण प्रकट हो रहे हो व सभी संभव इलाज के पश्चात्य भी हालत में सुधार न हो रहा हो व कारण स्पष्ट न हो पा रहा हो तथा जिसकी ट्रेवल हिस्ट्री भी न हो।

नियंत्रण व रोकने के उपाय

जल्दी रोग की पहचान व संक्रमण के स्त्रोत का नियंत्रण करे। स्वास्थ्यकर्मी रोग की जानकारी रखे, जिससे संभावित मरीज की जल्दी पहचान हो सके। जाच को लिए प्रशनावली तैयार करें। रोग के लक्षणों व रोकने के उपायों का प्रचार- प्रसार करें। खांसते, छीकते समय मुंह या रूमाल कपड़ा आदि लगाए या कोहनी से नाक मुह को ढके। संभावित ऐनसीओवी मरीज को अन्य मरीजों से अलग आइसोलेशन वार्ड में रखें। संभावित ऐनसीओवी के मरीज को मास्क पहनने की सलाह दे। मरीज के सम्पर्क में आने से पहले व बाद में हाथ धोएं।

कोरोना वायरस के मरीज ये सावधानियां बरतें

संभावित मरीज में परिवार के सदस्यों, मिलने – जुलने वाले लोगों तथा देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को मास्क पहने व बार – बार हाथ धोएं। मरीज को अलग एक स्वच्छ हवादार आइसोलेट कमरे में रखें, यदि यह संभव न हो तो सभी संभावित एक ही प्रकार के लक्षणों वाले मरीजों को एक ही कमरे में रखें। दो मरीजों में पलंग के बीच की दूरी का अंतर कम से कम 1 मीटर होना चाहिए। जहां तक संभव हो स्वास्थ्य कर्मियों का एक प्रथक से समूह बनाकर उन्हीं से संभावित मरीजों की देखभाल करायें। साफ लम्बे बाँह वाले गीले न होने वाले गाउन व दस्ताने का इस्तेमाल करें। निरंतर हाथ को आंख, नाक व मुँह पर न लगाएं। मरीज को अनावश्यक घूमने फिरने न दें।

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