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यदि सिस्टम ना हो तो कुछ भी नहीं चलेगा : पुलक सागर जी

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हरमुद्दा
रतलाम,12 फरवरी। आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज के यशस्वी शिष्य, राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 श्री पुलक सागर जी महाराज ने हर काम सिस्टम से करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि मेहनत से कुछ नहीं होता। यदि सिस्टम ना हो तो कुछ भी नहीं चलता। इसलिए सिस्टम का पालन करो, सबको हर काम में सफलता मिलेगी।

गोशाला रोड़ स्थित आचार्यश्री सम्मति सागर त्यागी भवन (साठ घर का नोहरा) में धर्मसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रसंतश्री ने कहा कि व्यक्ति यदि सब्जी लेने जाता है, तो सब्जी ही लाता है। सब्जी वाले को नहीं लाता है। कपड़ा लाना हो, तो भी कपड़ा लाता है। कपड़े वाले को नहीं लाता। समाज में जिसके पास जो है, वही चीज लाई जाती है। उसे नहीं लाया जाता। गुरुजन, संत और साधु के पास भी मनुष्य ज्ञान लेने आता है, उन्हें ले जाने के लिए नहीं आता।

नियम से चलने वाला होता है सफल

उन्होंने कहा कि मंदिर में भी व्यक्ति यदि जाता है, तो भगवान के गुणों की प्राप्ति के लिए जाता है। यह सब एक सिस्टम है और नियम भी है। प्रकृति के नियम अनुसार चलने वाला ही जीवन में सफल होता है। यदि सिस्टम बदला, तो कुछ चलने वाला नहीं है। संसार मे विवाद यदि होते है,तो सिर्फ सिस्टम के कारण होते है। सिस्टम को तोड़ना कही भी उचित नहीं है।

सिस्टम नहीं होगा तो आप जीरो ही रहेंगे

आचार्यश्री ने बताया कि हारमोनियम लाओ और उसे बजाने का सिस्टम मालूम नहीं हो तो सुर नहीं निकलेंगे। हारमोनियम कितना ही महंगा हो, पर वह चलता सिस्टम से ही है। इसलिए याद रखो व्यापार-व्यवसाय में भी कितनी ही मेहनत कर लो,लेकिन सिस्टम नहीं होगा,तो आप जीरो ही रहेंगे।  एक शिल्पकार जिस प्रकार पत्थर को तरासते हुए उसमें से जो जरूरी नहीं होता, उसे निकाल देता है। इससे उसमें भगवान दिखते हैं। उसी प्रकार इंसान भी खुद को तराशते है अपने अंदर के अवगुण निकाल दे, तो भगवान बन सकता है।

शास्त्र दी भेंट

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धर्मसभा के आरंभ में द्वीप प्रज्वलन पारस जैन,बाबूलाल मिंडा, विजय जैन,अंकित जैन ने किया। पाद प्रक्षालन पुनीत व जानवी धारीवाल ने किया। दक्षकुँवर मिण्डा, सपना गोधा, ज्योति झाँझरी ने शास्त्र भेंट दी। मंगलाचरण नेहल पटौदी ने किया। संचालन अभय जैन द्वारा किया गया। मुनिश्री पुलकसागरजी सेवा समिति के संरक्षक चन्द्रप्रकाश पांडे, अध्यक्ष राजेश जैन भुजिया वाला सहित बड़ी संख्या में धर्मालुजन मौजूद थे।

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