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अनूठा कार्यक्रम सभी के लिए रहा प्रेरणादायी व अनुकरणीय

🔲 स्मृति वेला कार्यक्रम में पुष्प की जगह रखा अन्न

🔲 मूक प्राणी पक्षियों के लिए सामूहिक अन्नदान करवाकर रतलाम के प्रकाशचंद्र नांदेचा परिवार ने महापुण्य किया अर्जित

🔲 एक दिन पूर्व भक्ति संध्या के दौरान मधुर भक्ति रस में डूबे श्रोता

हरमुद्दा
रतलाम, 13 फरवरी। आगम शास्त्र में दान का बड़ा महत्व उल्लेखित हैं। निःस्वार्थ भाव से किया गया दान कभी व्यर्थ नहीं जाता हैं और जहां सामूहिक दान करवाया जाए वहां तो वह महादान हो जाता हैं। ऐसा दान करने से परिवार के अंदर पूर्वजों के परोपकार के संस्कार झलकते हैं। शोक स्वरूप कार्यक्रम करना मानवीय प्रवृति की एक परंपरा है। किंतु पुण्यतिथि प्रसंग के दौरान कुछ अनूठा करना वह सभी के स्मृति पटल पर अंकित हो जाता हैं। यहां प्रकाशचन्द्र नांदेचा की धर्म सहायिका चंद्रकांता नांदेचा की ‘प्रथम स्मृति वेला’ प्रसंग पर ऐसा ही अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्नेहीजन एवं जनसमुदाय उपस्थित था।

पुष्प की जगह रखा अन्न

वैसे प्रायः श्रद्धांजलि आदि समारोह में अर्पण करने के लिए पुष्प रखे जाते हैं। श्रीनांदेचा ने बताया कि इसमें 20 से 30 किलो पुष्प लग जाते हैं। जो पुष्पांजलि के बाद फेंक दिए जाते हैं। इससे जीवों की हिंसा होती हैं। जीवदया को दृष्टिगत रखते हुए अर्पण करने हेतु श्रीनांदेचा ने अन्न रखा। इस दौरान परिवारजन, रिश्तेदारों, स्नेहीजन सहित समस्त उपस्थितजन के हाथों पक्षियों के लिए अन्नदान करवाया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सामूहिक रूप से मूक प्राणी पक्षियों के लिए अन्नदान करवाना एवं परिवार, रिश्तेदार व स्नेहीजन आदि को एक सूत्र में बांधना हैं। यह अनूठी परंपरा वास्तव में सभी के लिए प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय कार्य हैं। अपने हाथों से दान करने में कहीं न कहीं अपना स्वार्थ निहित रहता हैं। किंतु आगंतुक मेहमानों एवं उपस्थित जनसमुदाय के हाथों अन्नदान करवाने से सामूहिक पुण्य अर्जित होता हैं। इससे यह स्पष्ट झलकता हैं कि प्रकाशचन्द्र नांदेचा ने समूह रूप में अन्नदान करवाकर पुण्य का एक अनुपम उपार्जन किया हैं। श्रीनांदेचा द्वारा की गई इस अनूठी कार्यशैली को उपस्थित जनसमुदाय ने नमन, सराहना करते हुए साधुवाद दिया।

स्मृति वेला कार्यक्रम में अर्पित अन्न पक्षियों के लिए भेजा

समारोह में अन्नदान के रूप में अर्पित किया गया अनाज विभिन्न स्थानों पर पक्षियों के लिए भेजा गया। सैलाना वाले की हवेली (मोहन टॉकीज) में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान महावीर स्वामी का स्मरण एवं व्यसन मुक्ति प्रणेता आचार्यश्री रामलालजी ‘रामेश’ को वंदन करते हुए किरण जितेंद्र मालू प्रतापगढ़ (राज), रेणु अनूप घोड़ावत कल्याणपुरा (झाबुआ), आरती कमलेश पटवा बदनावर एवं आशा दिलीप दरड़ा बखतगढ़ ने नवकार महामंत्र स्तुति की प्रस्तुति से किया। पश्चात सामूहिक रूप में नवकार महामंत्र के जाप, मेरी भावना, आत्म शुद्धि एवं श्रीरामेश चालीसा की स्तुति की गई। इस दौरान स्तुति में सभी ऐसे तल्लीन हुए कि समूचा पांडाल धर्ममय वातावरण से सरोबार हो गया।

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इस अवसर पर प्रकाशचन्द्र नांदेचा द्वारा पते एवं संपर्क नंबर संकलित कर सुनियोजित ढंग से तैयार की गई ‘नांदेचा परिवार संपर्क डायरी’ का मुख्य अतिथि सोहनबहन जवाहरलाल श्रीश्रीमाल ने विमोचन कर पहली डायरी अशोककुमार नांदेचा खाचरौद को भेंट की। पश्चात मुख्य अतिथि सहित परिवारजन, रिश्तेदार, मित्रगण, स्नेहीजन एवं उपस्थित महानुभावों के हाथों क्रमानुसार मंच पर कतारबद्ध अन्नदान करवाया गया। इस तरह का दान करके सभी अभिभूत हो गए। समारोह में श्रीसाधुमार्गीय जैन श्रीसंघ के अध्यक्ष कपूरचंद कोठारी, पूर्व अध्यक्ष द्वय महेंद्र गादिया व बाबूलाल सेठिया, श्रीधर्मदास जैन श्रीसंघ अध्यक्ष अरविंद मेहता, अलकापुरी जैनश्रीसंघ से कमल नाहर, संजय चपड़ोत, बेबीबेन पंवार, श्रीसाधुमार्गीय महिला मंडल की वरिष्ठ पुष्पा बरड़िया, मंत्री वीणा ढाबरिया, अलकापुरी जैन महिला मंडल अध्यक्ष सुनीता बोहरा आदि ने उदबोधन में चंद्रकांता नांदेचा के धर्ममय एवं सेवा भावना से परिपूर्ण जीवन का विस्तृत उल्लेख कर प्रकाशचंद्र नांदेचा के समाजसेवी एवं परोपकार जीवन के लिए साधुवाद दिया। संचालन कवि राजमल नांदेचा एवं दिलीप दरड़ा बखतगढ़ ने किया। प्रतापगढ़ के जितेंद्र मालू ने आभार माना।

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इनकी रही विशेष अनुकरणीय सेवा

समारोह में सुरेशचंद्र, श्रेणिककुमार, राजेशकुमार (लाखू) नांदेचा, सुनील नागोरी, एवं संजय व अजय श्रीश्रीमाल ने विशेष एवं प्रशंसनीय सेवा दी। जो सभी के लिए अनुकरणीय है। जिसकी सभी ने सराहनीय की।

भक्ति रस में डूबे श्रोता

स्मृति वेला कार्यक्रम के एक दिन पूर्व भक्ति संध्या का आयोजन किया गया। इसमें अनिरुद्ध मुरारी भजन मंडली ने एक से बढ़कर एक विभिन्न धार्मिक, भगवान महावीर, गुरु गुणगान आदि पर आधारित मधुर स्वर में भजनों की प्रस्तुति दी। मुरारीजी ने नदियन पिये कभी अपना जल, वृक्ष न खाए कभी अपना फल’, स्तवन ने श्रोताओं के अन्तर्हृदय को झकझोर दिया। नन्ही बाल गायिका रुद्राणी ने भी ‘तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी हैं, हो मां..’ प्रस्तुत भजन मधुर कंठ से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। भजनों की प्रस्तुति पर सभी ने हर्ष हर्ष जय जय के जयकारों से गायकों का उत्साहवर्धन किया। मंचासीन अतिथि हीरादासजी महंत कबीर आश्रम हरतली द्वारा प्रस्तुत सुंदर भजन ने भी श्रोताओं को भक्ति में रमा दिया। इस दौरान दो दो भजनों की प्रस्तुति के अंतराल में बैंक ऑफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त प्रबंधक जयंतीलाल जैन ने श्रोताओं से ज्ञान वृद्धि के लिए धार्मिक प्रश्न भी पूछे। इसमें उत्तर देकर जिज्ञासुओं ने ज्ञान की अभिवृद्धि की। सही उत्तर देने वाले को नांदेचा परिवार की ओर से सोहनबेन श्रीश्रीमाल रतलाम, चमेलीबेन झामर जावरा, बेबीबेन पंवार कानवन के हाथों पुरस्कार भेंट किया गया।

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