इमरतीदेवी से बच्चों को इमरती खिलाने का आह्वान किया पुलक सागरजी ने

🔲 ज्ञान गंगा महोत्सव का दूसरा दिन

🔲 नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का आह्वान

हरमुद्दा
रतलाम, 17 फरवरी। ज्ञान गंगा महोत्सव में आचार्यश्री पुलकसागरजी म.सा. ने मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ियों में सरकार द्वारा अण्डा परोसे जाने पर तीखा आक्षेप किया। उन्होंने कहा चीन जैसा देश मांसाहार के कारण कोरोना जैसी बीमारी से जुझ रहा है। चीन के कई प्रांतों में मांसाहार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और शाकाहार को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। विडम्बना है कि हमारे देश में कुपोषण दूर करने के नाम पर मांसाहार को बढ़ावा दिया जा रहा है। म.प्र. की महिला बाल विकास मंत्री इमरतीदेवी ने हाल ही में आंगनवाड़ियों में अण्डे दिए जाने की बात कही है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथजी आचार्य विद्यासागरजी को आश्वस्त कर दिए गए थे कि अण्डा देने के निर्णय पर विचार होगा। पुलकसागरजी ने कहा इमरतीदेवी का बयान गंभीरता से लेने की जरूरत है

तोपखाना चैराहा पर आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज के यशस्वी शिष्य, राष्ट्रसंत,भारत गौरव प.पु. आचार्य श्री 108 श्री पुलक सागर जी महाराज ने नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा जिस का कैरेक्टर अच्छा होता है, उसका केरियर भी अच्छा होगा। लेकिन विडम्बना है कि आज कल माॅ-बाप अपने बच्चों के केरियर पर ध्यान दे रहे है, कैरेक्टर पर नहीं।
आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के तत्वावधान में सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आयोजित इस महोत्सव में दूसरे दिन आचार्यश्री ने विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत कर संस्कारहीनता पर प्रकाश डाला।

जीने का सलीका भी सिखाती मां

उन्होंने कहा कि जानवरों के पास सिर्फ जननी होती है। मां तो सिर्फ इंसान के पास ही होती है, जो बच्चों को सिर्फ जन्म ही नहीं देती, अपितु उसे जीवन जीने का सलीका भी सिखाती है। माता-पिता बनना एक साधना है। वर्तमान में बच्चों को जो माहौल मिल रहा है, उसमें संस्कारों का रोपण नहीं हो सकता। बच्चों को केवल किताबी बोझ से मत दबाईये, उन्हें कर्तव्य बोध भी कराईये।

100 विद्यालय बनाने से बड़ा है एक बच्चे को संस्कारित करना

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आचार्यश्री ने कहा कि बच्चा कच्ची मिट्टी के समान होता है, माता-पिता जैसा चाहे वैसा उसे बना सकते है। एक बच्चे को संस्कारित करना 100 विद्यालय बनाने से भी बड़ा काम है। 21वीं सदी कम्प्युटर और इन्टरनेट की सदी है। इसमें बच्चे कुछ सिखाने से सिखने वाले नहीं है, अपितु करके दिखाने से सीखेंगे। यदि बच्चों से मां-बाप राम बनने की अपेक्षा करते है, तो इसके लिए उन्हें पहले खुद भी दशरथ बनना होगा। वे मोबाईल और आधुनिकता के विरोधी नहीं है, लेकिन इसके नाम पर पश्चिमी संस्कृति की जो गंदगी परोसी जा रही है, उससे नई पीढ़ी को बचाना आवश्यक है। आचार्यश्री ने कहा कि देश क मानसिकता को कुण्ठित किया जा रहा है। वैचारिक स्वतंत्रता का अर्थ देश को मर्यादित करना होता है, लेकिन स्वतंत्रता के नाम पर आज देश का भविष्य कुण्ठित हो रहा है।

देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ है फैसला

उन्होंने शाकाहार पर जोर देते हुए माता-पिता से आह्वान किया कि वे अण्डे वितरित करने वाली आंगनवाड़ियों में अपने बच्चों को नहीं भेजे, क्योंकि यह फैसला देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ है। इमरतीदेवी यदि आंगनवाड़ी में इमरती खिलाने या गाय का दुध पिलाने की बात कहती, तो ज्यादा गौरवशाली होता।

यह थे मौजूद

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आरम्भ में मंगलाचरण जूली कोटिया ने किया दीप प्रज्वलन एसपी गौरव तिवारी द्वारा किया गया। सरोज जैन, शशि जैन, रेखा बड़जात्या, गीता पांडे, शर्मिला गंगवाल ने शास्त्र भेंट किया। मांगीलाल जैन, राजेन्द्र बड़जात्या,चंद्रसेन गड़िया,प्रमोद पाटनी, विजय नरसिंहपुरा,संजय पाटनी ने श्रीफल भेंट किए। ज्ञान गंगा महोत्सव में पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी, आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के अध्यक्ष राजेश जैन भूजियावाला, सचिव अभय जैन सहित रावटी,बासिन्द्रा के लबाना समाज के युवा कार्यकर्ता मौजूद थे। संचालन कमलेश पापरीवाल द्वारा किया गया।

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