दुनिया में व्यवहार की होती है कीमत, धन दौलत की नहीं : पुलक सागरजी
🔲 ज्ञान गंगा महोत्सव का तीसरा दिन
हरमुद्दा
रतलाम,18 फरवरी। तोड़ने के लिए हजारों हाथ कम पड़ते है। जोड़ने के लिए दो हाथ ही काफी है। दुनिया मे धन-दौलत की कोई कीमत नहीं होती, सिर्फ व्यवहार की कीमत होती है। इसलिए व्यवहार अच्छा रखिए। यदि घर-परिवार में आपको इज्जत कम मिलती है, तो दूसरों से अपेक्षा मत रखो। खुद का व्यवहार बदल लो, परिवर्तन अपने-आप दिखेगा।
यह बात आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज के यशस्वी शिष्य, राष्ट्रसंत,भारत गौरव प.पु. आचार्य श्री 108 श्री पुलक सागर जी महाराज ने कही। तोपखाना चौराहा पर सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के तत्वावधान में आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव में तीसरे दिन आचार्यश्री ने पिता-पुत्री का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि हर व्यक्ति दुनिया के लिए भले ही आदर्श नहीं बने,लेकिन उसे कम से कम अपने परिवार के लिए तो आदर्श बनना चाहिए। परिवार में यदि कोई बेटा कहे कि में अपनी माता जैसी पत्नी लाना चाहता हूं और बेटी कहे कि में पिता जैसा पति चाहती हूं, तो समझ लेना कि तुम्हारा जीवन सफल हो गया।
संस्कारी से करेगा वह विवाह
आचार्यश्री ने कहा कि घर को स्वर्ग बनाओ, नर्क मत बनने दो। यदि आपका व्यवहार सबके साथ मधुरता का होगा तो आपको हर हाल में सम्मान ही सम्मान मिलेगा। लेकिन याद रखो यदि चेहरे पर धूल हुई तो इल्जाम आईने पर लगाना फिजूल है। धर्मसभा में आचार्यश्री ने एक युवक को खड़ा करके सवाल पूछा सुंदर और संस्कारी में से किस युवती से विवाह करोगे?। युवक ने जब जवाब दिया कि संस्कारी युवती से विवाह करेगा, तो आचार्यश्री ने कहा यह हमारी संस्कृति है। इसे समृद्ध बनाए।
सांसद का हुआ अभिनन्दन
धर्मसभा में विशेष रुप से उपस्थित सांसद गुमानसिंह डामोर ने भी विचार रखे। उपस्थित श्रोताओं ने आचार्यश्री के आह्वान पर अनुशासन का परिचय दिया। इसके बाद श्री डामोर का आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के अध्यक्ष राजेश जैन भूजियावाला, सचिव अभय जैन सहित सभी पदाधिकारियों ने अभिनंदन किया।
शुरुआत में सम्यक तरंग मंडल की महिलाओं ने किया मंगलाचरण
तीसरे दिन ज्ञान गंगा महोत्सव का शुभारंभ सम्यक तरंग मंडल की महिलाओं ने मंगलाचरण से किया। जिला जेल रतलाम के जेलर आरआर डांगी एवं उप जेलर वीबी प्रसाद ने दीप प्रज्वलन किया। पाद प्रक्षालन पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी, जयवंत कोठारी ने तथा भूपेंद्र मोठिया,राजमल नर्सिहपुरा, अनुराग जैन ने शास्त्र भेट किया। संचालन अभय जैन व कमलेश पापरीवाल द्वारा किया गया।