लॉक डाउन के बावजूद हो रही है लोगों की तफरीह व मनमानी, जरूरी है पुलिस की थोड़ी सख्ती
🔲 नहीं हो पा रही है सख्त कार्रवाई,
🔲 पालन नहीं होने पर है सजा का प्रावधान
हरमुद्दा
रतलाम, 23 मार्च। लॉक डाउन होने के बावजूद शहर में युवा वर्ग की तफरी हो रही है। दुकानों के बाहर लोग एकत्र होकर चर्चा में मजबूर हो नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। जनहित में लॉक डाउन का सख्ती से पालन जरूरी है।
सोमवार को शहर में लॉक डाउन होने के बावजूद भी। युवा वर्ग मौज मस्ती में घूमते नजर आए। वहीं कई लोग सपरिवार चहल कदमी करते भी दिखे। यहां तक कि बंद दुकानों के आसपास भी लगाकर बतियाते हुए नजर आए।
माणकचौक, शहर सराय, हाट रोड, सुभाष नगर, राजेन्द्र नगर, लोहार रोड, पैलेस रोड सहित कई क्षेत्रों ऐसे दृश्य आम थे। वहीं चांदनी चौक, धानमंडी, दो बत्ती आदि क्षेत्र व कई मार्ग सुनसान थे।
कोई रोक-टोक नहीं पुलिस द्वारा
पुलिसकर्मियों द्वारा भी कोई रोक टोक नहीं थी। लगता है पुलिसकर्मियों को भी लॉक डाउन की पूरी जानकारी नहीं है। इसीलिए इसीलिए पूरी तरीके से पालन नहीं करवा पा रहे हैं। आम लोगों की मनमानी। सड़कों पर नजर आ रही है। जबकि लॉक डाउन का पालन नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी है।
पश्चिमी देशों में कई बार हो चुका है लॉक डाउन का उपयोग
अब तक आपने हड़ताल के बारे में सुना है, कर्फ्यू के बारे में सुना है। मगर मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह लॉकडाउन क्या है? लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल पश्चिमी देश कई बार आपात स्थिति में ऐसा कर चुके हैं।
लॉकडाउन एक जानकारी
लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था होती है। इस दौरान किसी को भी अपने घर से निकलने की अनुमति नहीं होती है। लोगों को सिर्फ आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति होती है। लोग दवाईयां, राशन, दूध, अस्पताल या बैंक जैसी जरूरी कामों के लिए ही घरों से बाहर निकल सकते हैं। लोगों को अनावश्यक घूमने या बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती है। लॉकडाउन के दौरान जो जहां, जिस शहर में है उसे वहीं रहना होगा। लॉकडाउन के दौरान लोग जहां पर हैं, उन्हें वहीं रहना होगा। भारत में लोगों को घरों में रखने के लिए कर्फ्यू या धारा 144 जैसे कानून का सहारा लेते रहे हैं।
शहर में पहली बार लॉक डाउन का उपयोग
लॉकडाउन का इस्तेमाल देश और शहर में पहली बार हो रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद रहेगा।
पहले भी हुआ है लॉकडाउन
अमेरिका ने 9/11 आतंकी हमले के बाद तीन दिन के लिए पहली बार लॉकडाउन किया था। इसके बाद 2013 में बॉस्टन और 2015 में पेरिस हमले के बाद ब्रुसेल्स लॉकडाउन किया गया था।
यह होता है लॉक डाउन में
🔲 किसी भी सार्वजनिक परिवहन सेवा को अनुमति नहीं होगी। इसमें निजी बसें, टैक्सी, ऑटो रिक्शा, रिक्शा, ई-रिक्शा सब बंद रहेंगे।
🔲 सभी दुकानें, बाजार, व्यापारिक प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस, गोदाम, साप्ताहिक बाजार ये सब बंद रहेंगे।
🔲 सार्वजनिक स्थल पर कोई इकट्ठा नहीं हो सकता है।
लॉकडाउन वाले शहर में सभी को पूरा समय अपने घर में ही रहने की सलाह दी जाती है।
इन पर कोई नहीं है प्रतिबंध
🔲 दूध की दुकानें खुली रहेंगी, लेकिन एक साथ भीड़ ना इकट्ठी हो।
🔲 राशन की दुकानें खुली रहेंगी लेकिन अपील यही होती है कि भीड़ इकट्ठी न हो और जिसके घर में राशन मौजूद है वो बेवजह राशन की दुकान पर ना जाए। कुछ मामलों में राशन सरकार सीधे घर तक पहुंचाती है ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
🔲 सब्ज़ी और फल की सप्लाई जारी रहेगी।
🔲 पेट्रोल पंप खुले रहते हैं लेकिन कुछ स्थानों की चिन्हित कर स्थानीय प्रशासन बंद भी करा सकता है, जहां ज़्यादा भीड़ की संभावना होगी।
🔲 दूध और डेयरी प्लांट खुले रहते हैं।
🔲 निजी और सरकारी अस्पताल 24 घंटे खुले रहते हैं।
🔲 मेडिकल स्टोर 24 घंटे खुले रह सकते हैं।
🔲 मेडिकल और स्वास्थ्य संबंधी उपकरण व दवाईयां बनाने वाली कंपनियां खुली रहती हैं।
🔲 संचार सेवाएं सुचारू रूप से चलती हैं।
🔲 टेलीकॉम कंपनियां अपनी जरूरी सुविधाएं खुली रख सकते है।
🔲 लॉक डाउन का पालन नहीं करने वालों पर सजा व सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी है।