चैत्र में सावन के सेरे, आधी रात के बाद गड़गड़ाहट के साथ शुरू हुई बारिश, भिक्षावृत्ति करने वाले हुए परेशान, ज़िला प्रशासन ने नहीं दिया था ध्यान

🔲 दो घण्टे रही बिजली बंद

🔲 वातावरण में घुल गई ठंडक

🔲 परेशान हो रहे हैं भिक्षावृत्ति करने वाले सैकड़ों लोग, नहीं मिला आश्रय स्थल।

हरमुद्दा
रतलाम, 27 मार्च। चैत्र में सावन के सेरे आ रहे है। आधीरात के बाद गड़गड़ाहट के साथ बारिश शुरू हुई। इसके साथ ही बिजली बंद हो गई। लॉक डाउन में गश्त करने वाले पुलिस बल और बेघर लोग काफी परेशान हुए। जबकि हर मुद्दाडॉट कॉम ने 25 मार्च को जिला प्रशासन को अवगत कराया लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। गर्मी के मौसम में बारिश होने से वातावरण में ठंडक घुल गई। 

गुरुवार शुक्रवार की दरमियानी रात 3:30 बजे तेज हवा और गड़गड़ाहट के साथ तेज बारिश शुरू हुई जो कि 3:50 तक चली इसके बाद कुछ राहत मिली। जैसे ही बारिश शुरू हुई वैसे ही विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। 20 मिनट पर तेज बारिश के बाद 20 मिनट राहत रही और फिर 4.10 बजे बारिश शुरू हुई जो कि 10 मिनट तक चलती रही। 5:30 बजे विद्युत आपूर्ति शुरू हुई। 7:20 पर पुनः 5 मिनट बारिश हुई और बिजली बंद हुई। 7:35 पर फिर बारिश का एक दौर चला और फिर बिजली बंद हुई। 7:40 बजे सावन के सेरे जैसी चैत्र में होने वाली बारिश कम हुई पुनः विद्युत आपूर्ति शुरू हुई।

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परेशान हुए गश्त करने वाले और खुले आसमान के नीचे सोने वाले गरीब

दिन का तापमान जहां 39 और रात का तापमान 19 चल रहा है। घरों में पंखे और ऐसी शुरू हो गए। बारिश शुरू होते ही बिजली जाने से शहर वासियों की नींद उड़ गई। गर्मी से परेशान रहे। लेकिन सुबह 7:00 बजे से उठे तो उन्हें ठंड का एहसास हुआ। वातावरण में पूरी ठंडक घुल चुकी।

भागना पड़ा इधर-उधर, आधी रात को

बेमौसम बारिश के चलते गश्त करने वाले पुलिस जवानों को काफी ठंड लगी वही खुले आसमान के नीचे सोकर रात बिताने वाले, भिक्षावृत्ति करने वाले मेहनत मजदूरी करने वाले गरीब लोगों को बचने के लिए इधर-उधर भागना पड़ा। ठंड और बारिश से बचाव के लिए उनके पास कोई साधन भी नहीं था। उल्लेखनीय है कि कालिका माता परिसर में करीब सौ लोग भिक्षावृत्ति करने वाले तथा गरीब खुले मैं जीवन यापन कर रहे हैं।

नहीं दिया प्रशासन ने उनकी ओर ध्यान

हरमुद्दा डॉट कॉम ने 25 मार्च को ही प्रशासन को अवगत कराया था कि बगीचे के समीप ही नगर निगम का मंच बना हुआ है, जिस पर कालिका माता ट्रस्ट का कब्जा है। वह खुलवा दिया जाए। पास में धर्मशाला है, वहां पर इनको रहने दिया जाए ताकि इन्हें परेशानी ना हो, लेकिन प्रशासन की कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वही कालिका माता सेवा मंडल का भी इनकी सेवा करने के लिए दिल नहीं पसीजा। यहां पर रहने वाले कई लोग बाहर के हैं, जो कि कहीं और जा रहे थे। लेकिन यात्री ट्रेनें बंद होने के कारण यही पर रह गए हैं। दर्द से परेशान थे, उन्हें समाजसेवी जीतेंद्र सिंह सोलंकी की मदद से उपचार व गोली दवाई की सुविधा उपलब्ध करवा दी गई थी।

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