“अनुशासित हो दे रहे हम कोरेना को मात”
“अनुशासित हो दे रहे हम कोरेना को मात”
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देश के नाम फिर मोदी ने की अपने मन की बात.!
भाव-भक्ति के साथ सभी के बीते नव दिन रात…! !
दिन बारह अब शेष इन्हें काटो संयम के साध..!
अपने घर में सजी हुई है खुशियों की सौगात..! !
घर से निकलना जरूरी तो बात बांध लो गांठ..!
बाज़ारों में रखो सभी से दूरी दो- दो हाथ…! !
पूरे एक सौ तीस करोड़ एक जूट सब साथ..!
अनुशासित हो दे रहे हम कोरोना को मात…! !
लेकिन कुछ फिरक़ा-परस्त न माने नियम की बात..!
उनसे सीख ये “दीप” की इस समझाइश के साथ..! !
जान-लेवा जीव कोरोना करे है सब पर घात…!
हमले से पहले नहींं ये पूछ रहा है जात …! !
अपनी जान के क्यूं पड़े यूं पीछे धोकर हाथ..!
मरने पर कांधा नहीं ना देगा कोई अंतिम साथ ! !
दुनिया मान जो दे रही इसमें न लगाओ दाग़..!
लगा रहे जो तुम लग गई फिर नहीं बूझेगी आग .! !
या फिर तुम बतला ही दो कि हो भूतों की जात..!
बातों से नहीं मानते खाकर समझेगें लात..! !
अपने घर में रहो सभी कुछ दिन रहें है शेष..!
बाद सभी से मिलना वही रीत वही परिवेश..! !
जान है तो जहान है ये मोदी जी की सीख..!
जीवन ये अनमोल बड़ा है, नहीं किसी की भीख..! !
🔲 दिलीप कुमार जोशी “दीप”
395-ए,काटजू नगर,रतलाम