मुस्कुराता शहर सहम गया अचानक : मेरे शहर को लगी नजर, मुस्कुराहट न जाने गई किधर?
🔲 हेमंत भट्ट
शांति, सद्भावना, सदाचार, समन्वय, सद्भावना, स्वाद के साथ मुस्कुराता शहर अचानक सहम गया है। यह मेरे शहर को किसकी नजर लगी है? नहीं पता, मुस्कुराहट न जाने किधर गई? लेकिन, यह आत्मविश्वास शहरवासियों में अवश्य है कि कोरोना वायरस पॉजीटिव लोगों की संख्या नहीं बढ़ेगी। देर सबेर ही सही यह दिन भी गुजर जाएंगे। जो होगा अच्छा होगा, अच्छे के सिवा कुछ नहीं होगा। फिर से उल्लास उमंग छाएगा। हर शख्स मुस्कुराएगा।
जिला प्रशासन व्यवस्थाएं मुकम्मल करने के लिए संकल्पित है। कोरोना वायरस को फैलने नहीं दिया जाएगा। सैकड़ों लोगों को आइसोलेट कर दिया गया है। व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने के जतन किए जा रहे हैं।
प्रदेश में मिसाल बनेगी रतलाम की
22 मार्च से 7 अप्रैल तक शहरवासी लॉक डाउन का पूर्ण का पालन कर रहे थे। घर में थे मगर मुस्कुराहट उनके चेहरों पर थी। बिना किसी चिंता फिकर के
सलीके और तरीके से जीवन जी रहे थे। शहरवासियों के मन में पूरा विश्वास था कि रतलाम शहर में ऐसा कुछ भी नहीं होगा। शहरवासी सभी की रग-रग से वाकिफ थे कि शहर में कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजीटिव नहीं रहेगा। प्रदेश में मिसाल बनेगी रतलाम की। शहरवासियों को पता है कि जब सभी लोग सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं। हर किसी के दुख दर्द में शामिल होते हैं। समस्या किसी एक की नहीं सबकी जहां मानते हैं। उस शहर में कोरोना की दस्तक कदापि नहीं हो सकेगी।
सपने बुनने लगे थे पुराने, भोजन की थाली में रहेगी अब सेंव
7 अप्रैल तक शहरवासी खुशमिजाज थे। जरूरत की चीजें खरीद कर और जो चीजें घर में मौजूद थी। उसी में अपना खानपान चला रहे थे। हर आम और खास जिस शहरवासी के भोजन थाली बिना सेंव के अधूरी मानी जाती है। सेंव के बिना भोजन करना सीख लिया था। शहर के स्वादुजनों ने कट्ठा मन करके अपनी जुबानों को नियंत्रण में कर लिया था। इस उम्मीद और आशा में कि 14 तारीख के बाद लॉक डाउन हट जाएगा। जिस शहरवासी की नाक कचोरी, समोसा, आलू बड़ा की सुगंध को महसूस करती है, आंखें उन्हें निहारती है। यह दृश्य आंखों में तैरने लगे थे। दो बत्ती चौपाटी और चांदनी चौक की चमक के, चौराहों पर खिलखिला कर बात करने के, पान दबाकर राजनीति करने के ये सपने आने लगे थे।
सोच लिया था यहां तक
शहर ही नहीं जिले के रहवासियों को विश्वास था कि साथ एक सप्ताह और है। इसके बाद जिले में लॉक डाउन की स्थिति नहीं रहेगी। हां यह बात जरूर रहेगी कि शहर की सीमा से बाहर जाने की अनुमति प्रशासन नहीं देगा, लेकिन शहर में सभी दुकानें खुल जाएगी। शहर की जिंदगी पुनः धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ लेगी। फिर से चाय की तपेली में घूमती चम्मच के दृश्य और चाय की तपेली पर कड़छी के ठोकने की आवाज कानों में गूंजने लगेगी।
तेल कढ़ाई पर झारे से सेंव निकालता व्यक्ति नजर आएगा।
लगी नजर खिसकी जमीन
मेरे शहर को न जाने किसकी नजर लगी और 8 अप्रैल को चौंकाने वाली खबर मिली। 4 अप्रैल की शाम को जो जनाजा निकला था, उसमें जो शख्स था वह कोरोना पॉजीटिव निकला। यह बात पता चलते ही प्रशासन के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। चूक कहां हुई? इस पर मंथन होने लगा। वरिष्ठ को सफाई भी दी जाने लगी। लेकिन शहरवासी तो समझ गए हैं कि जिला प्रशासन ने इस मामले में बहुत बड़ी चूक की है। और इसका खामियाजा शहर के लाखों रहवासियों को भुगतना पड़ेगा।
…और छा गया सन्नाटा और छीन ली मुस्कुराहट
तब भी यह सोच कर दिल बहलाया था कि चलो कोई बात नहीं रतलाम में तो कोई पॉजीटिव नहीं है। 2 दिन अच्छे से गुजरे। लेकिन जब शनिवार को सुबह शहर की फिजाओं में बात फैली कि मोचीपुरा क्षेत्र में एक पॉजीटिव व्यक्ति मिला है, तब शहरवासियों को सांप सूंघ गया। एक अजीब सा सन्नाटा शहर में छा गया। ऐसा लग रहा है मानो किसी ने मुस्कुराहट छीन ली है। जीना छीन लिया है। शहरवासी सहमे-सहमे से हैं। उन्हें अब डर सताने लगा है कि न जाने किधर से कोई पॉजीटिव निकल जाए।
अच्छे के सिवा कुछ नहीं होगा
शहरवासियों में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी है। किसी भी बात में मन नहीं लग रहा है। टीवी देखने में उत्साह नहीं है। बात करने में उमंग नहीं है। परिजनों को जवाब देते नहीं हैं। न जाने क्यों चिंता सताने लगी है? शुक्रवार तक जहां लोग बाहर भी नजर आ रहे थे, वह घरों में दुबक कर रह गए हैं। अभी तक के दिन तो अच्छे से गुजर गए लेकिन आने वाले दिन क्या-क्या दिन दिखाएंगे यह सोचकर ही लोगों में सिहरन पैदा हो रही है। फिर भी मन में ढांढस है कि जो होगा अच्छा होगा अच्छे के सिवा कुछ नहीं होगा।