सर्वोच्च अदालत का फैसला : तत्कालीन कांग्रेस सरकार को झटका, राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट का आदेश सही
🔲 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जरूरी मामलों का निपटारा
🔲 कांग्रेस सरकार की याचिका को सिरे से नकारा
🔲 शिवराज के पक्ष में फैसला
हरमुद्दा
सोमवार, 13 अप्रैल। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाया। कांग्रेस सरकार की याचिका को सिरे से नकारते हुए सर्वोच्च अदालत का कहना है कि मार्च में हुए मामले में राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देना सही था।
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस महामारी के संकट के दौर में सुप्रीम कोर्ट का कामकाज कर रही है।अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अहम मामलों को निपटा रही है। सोमवार को अदालत ने अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से दिए गए उस तर्क को नकार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं। यानी सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को नकार दिया है।
राज्यपाल के अधिकारों का विस्तृत आदेश किया था जारी
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्यपाल ने तब खुद निर्णय नहीं लिया, बल्कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। एक चलती हुई विधानसभा में दो तरह के ही रास्ते बचते हैं, जिसमें फ्लोर टेस्ट और नो कॉन्फिडेंस मोशन ही है। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया।
तब मामला पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। लेकिन, जब सदन की शुरुआत हुई तो विधानसभा स्पीकर ने सदन को कोरोना वायरस के चलते कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।