भारतीय कला-परम्परा की खोज में अंतिम साँस तक जुटी रही अमृता शेरगिल

डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला
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भारतीय चित्रकला के नवरत्नों में रवीन्द्रनाथ , राजा रवि वर्मा और जैमिनी राॅय के साथ शामिल की जाने वाली भारत की बेटी अमृता शेरगिल के छोटे से जीवन को समझने का यत्न करने वाले कभी भीतर तक डुबकी नहीं लगा पाए। अचरज होता है कि महज अट्ठाइस की आयु में अमृता शेरगिल के पास वह क्या चीज थी , जो उसे भारतीय कला के उत्तुंग शिखर तक ले गई। वह अपने जीवन के चौदह बरस भारत में रही ,और चौदह बरस भारत से बाहर। कूँची पकड़ना इटली में सीखा , लेकिन रंगों की परिकल्पनाएँ भारतीय परम्परा से सीखी , तो यह बीसवीं सदी के उस दौर का कोई छोटा-मोटा आश्चर्य नहीं था।

FB_IMG_1550229628960 FB_IMG_1550229622412 FB_IMG_1550229614597मृता शेरगिल के पिता उमरावसिंह सिख थे और खास बात यह कि वे संस्कृत और फारसी के अच्छे जानकार थे।
माँ एंटोनी गोट्समेन हंगरी मूल की जरूर थी , लेकिन जानी-मानी यहूदी ओपेरा गायिका थी। कोई कारण नहीं कि माँ ने अमृता को गायकी के क्षेत्र में उतारने का सपना न देखा हो । अमृता आठ साल की आयु में बहुत अच्छा पियानो बजाती थी और वायलिन भी। अमृता जब दस बरस की थी , तभी माँ उसे अपने साथ इटली ले गई। वहाँ के एक विख्यात आर्ट स्कूल से चित्रकला में पारंगत होकर वह 1934 में भारत आई अपनी जड़ों को सींचने के लिये , अपनी भारतीय आत्मा को खोजने के लिये , अपने पुरखों के पाँव पखारने के लिये और भारतीयता के विशाल कैनवस पर प्रेम के सपनों में घुले हुए अपने रंगों को उड़ेलने के लिये।

भारतीय नारी का मिला गौरव

अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को बुडापेस्ट , हंगरी में हुआ ,और मृत्यु 5 दिसम्बर 1941 को लाहौर(अब पाकिस्तान) में। जीवन-मृत्यु के हिसाब से आधी- अधूरी भारतीय पहचान वाली अमृता ने विवाह भी परदेसी से ही किया । विवाह के बाद पुश्तैनी गृहनगर गोरखपुर में लौट आई ,और तीन बरस जीवित रही । इसके बावजूद गुरुदेव रवीन्द्रनाथ की समकालीन और समतुल्य कलाकार के रूप में सम्मानित होने वाली अकेली भारतीय नारी का गौरव मिला अमृता शेरगिल को।

सच्चा प्यार पेंटिंग से

अमृता शेरगिल बेहद खूबसूरत थी। उसकी सुंदरता की चर्चाएँ अनेक किस्सों के रूप में मिलती हैं। वह अपनी सुंदरता को भारतीयता के साथ व्यक्त करती थी ।अपने सभी छायाचित्रों में वह भारतीय परिधान में ही दिखाई देती है । अभिनेत्री थी वह लाजवाब और संगीत के क्षेत्र में कई प्रयोग कर चुकी थी । किन्तु उसने सच्चा प्यार किया था पेन्टिंग से । “यंग गर्ल्स” और ” टू वूमेन” सहित सैकड़ों पेन्टिंग्स ऐसी हैं जो आज भी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करती है।

भारतीय नारी की नई तस्वीर

अमृता शेरगिल जानी जाती है इस बात के लिये , कि वह भारतीय नारी की नई तस्वीर दिखाना चाहती थी दुनिया को।वह भारत की आत्मा के चित्र बनाते-बनाते चली गई। वह यह भी बताने के लिये आई थी कि आधुनिकता का बोध बाहर से नहीं लाया जा सकता। वह यहीं उगाना पड़ता है अपनी मिट्टी में , अपने हृदय में। इसीलिये भारतीय कला-परम्परा की खोज में अंतिम साँस तक जुटी रही अमृता शेरगिल । भारत के स्वाभिमान की रक्षा करने वाली कला-साम्राज्ञी अमृता शेरगिल हमेशा याद रखी जाएगी।

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