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रतलाम वालों को ही नहीं मिल रही है रतलामी सेंव, प्रशासन लें हितकर निर्णय

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🔲 शराब की दुकान पर जाकर खरीदेंगे तो कोरोना नहीं, सेंव खरीदेंगे तो होगा !

🔲 प्रशासन को लेना चाहिए जनहित में निर्णय

🔲 700 से अधिक है सेंव निर्माता

🔲 5000 से अधिक लोग हैं रोजगार से वंचित

🔲 पैसे वाले ही खाएंगे सेंव

हरमुद्दा
रतलाम, 8 मई। सेंव के लिए विश्वप्रसिद्ध रतलाम में ही लोगों के लिए सेंव नहीं बन रही है। आमजन सेंव के स्वाद के लिए बेताब है। सेंव नहीं मिलने से परेशानजन कहते हैं कि शराब की दुकान पर जाकर शराब खरीदते हैं तो कोरोना नहीं होगा, लेकिन सेंव की दुकान पर जाकर सेंव खरीदेंगे तो कोरोना हो जाएगा। रतलाम के लिए जो निर्णय दिया है उसके तहत तो केवल पैसे वाले ही सेंव खा पाएंगे। आखिर ऐसा निर्णय प्रशासन ने क्यों लिया। शहर में थोक व्यापारी और होम डिलीवरी वाले बहुत कम हैं। इस कारण भट्टियां अभी चालू नहीं हुई है।

सेंव दुकानों पर तो ऐसी भीड़ नहीं होगी

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शहर में सेंव निर्माण की लगभग 700 दुकानें हैं। इसमें भी बड़े व्यापारी लगभग 80 हैं, जिनके यहां पर हर दिन क्विंटलों सेंव नमकीन बनता और बिकता है। इन्हीं दुकानों पर सेंव बनाने से लेकर अन्य कार्य करने वाले पांच हजार से अधिक लोग प्रभावित हैं। उनको रोजगार की परेशानी है। काम नहीं होने के कारण कई लोगों ने चुना तगारी का काम भी करना मंजूर कर लिया है। बड़ा गणेश की तरफ़ रहने वाले दुर्गा उस्ताद ने बताया कि वह सेंव बनाने का ही काम करते हैं लेकिन डेढ़ महीने से कोई काम नहीं है। इस कारण मजदूरी करना पड़ रही है। शहर में सेंव के थोक व्यापारी और होम डिलीवरी वाले बहुत कम हैं। इस कारण भट्टियां अभी चालू नहीं हुई है। प्रशासन को हितकर निर्णय लेना चाहिए, ताकि रोजगार मिल सके।

 सेंव खाने की आदत है लोगों की

दीनदयाल नगर के बृजेश त्रिवेदी का कहना है कि रतलाम के लोगों की आदत ताजी से खाने की है। ढाई सौ ग्राम सेंव ले जाते हैं एक दिन में खत्म हो जाती है। एक-एक, दो-दो किलो भरकर रखने की आदत नहीं है। दुकानदार भी 1 किलो से कम की डिलीवरी नहीं कर रहे हैं। उसमें भी डिलीवरी चार्ज अलग से ले रहे हैं। इसमें भी खास बात यह है कि जिन लोगों की पसंद है, वह दुकानदार तो बना ही नहीं रहे हैं।

स्वाद और गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं

चौड़ावास के प्रकाश शर्मा कहती हैं जो लोग सेंव बनाकर ग्रामीण क्षेत्र में बेचते हैं। उनकी गुणवत्ता और स्वाद वह नहीं होता है, जिसकी आदत अधिकांश शहरवासियों को है। सेंव खाते हैं फिर भी सेहत का तो ध्यान रखते ही हैं। स्वाद और गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं।

डिस्टेंस का पालन लोग कर ही लेंगे

वेद व्यास कॉलोनी के सतीश त्रिपाठी का कहना है कि
प्रशासन को चाहिए कि वह सभी दुकानदारों को सेंव बनाने की अनुमति दें। डिस्टेंस का पालन तो लोग कर ही लेंगे। इसकी जिम्मेदारी का निर्वाह दुकानदार भी करेगा ही। सेंव तो अच्छी मिल जाएगी।

सबको अनुमति देना चाहिए सेंव नमकीन निर्माण की

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स्टेशन रोड पर सेंव निर्माता अंकित खंडेलवाल का कहना है कि प्रशासन को सभी दुकानदारों को सेंव निर्माण की अनुमति देना चाहिए, ताकि लोगों को परेशानी ना हो। हमें भी होम डिलीवरी करने में दिक्कत है। प्रशासन को जनहित में निर्णय लेना चाहिए। 10-10 रुपए की सेंव लेने वाले भी कई लोग आते हैं। उनकी क्षमता नहीं होती कि वह एक किलो सेंव रख ले। शहर में कई हजारों लोग आते हैं जो कि रोटी लेकर आ जाते हैं और सेंव से रोटी खाकर पेट भरते हैं।

आज नजर आई हैं सेंव

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तभी बालक दास 10 रुपए की सेंव लेने आए। इनका कहना था कि 40 दिन से सेंव नहीं खाई है। आज नजर आई तो लेने आ गया। सेंव बगैर बिना रोटी खाना मुश्किल होता है। खेरची बेचने पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

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