सृजन : अब लाज नारियों की, आकर तुम्हीं बचाओ

⚫ दुर्गा तुम्हीं भवानी,
मुख मोड़ यूं न जाओ।
अब लाज नारियों की,
आकर तुम्हीं बचाओ।।⚫

दिव्या भट्ट ‘स्वयं’

दुर्गा तुम्हीं भवानी, मुख मोड़ यूं न जाओ।
अब लाज नारियों की, आकर तुम्हीं बचाओ।।

है पीर अनगिनत सी, हर नार आज पीढ़ित।
क्यों बेटियाँ बनीं हैं, है बार काल कवलित।।
लेकर त्रिशूल कर में, हर दुष्ट को मिटाओ।
अब लाज नारियों की, आकर तुम्हीं बचाओ।।

हर दुष्ट के मनन में, क्यों व्याभिचार पलता।
निज काम वासना से, हर एक नार छलता।।
हर दुष्ट सोच में माँ, निष्काम भाव लाओ।
अब लाज नारियों की, आकर तुम्हीं बचाओ।।


दिव्या भट्ट ‘स्वयं’
इंदौर, मध्य प्रदेश

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