कोरोना के संकटकाल में क्रोधजयी बनो : आचार्यश्री विजयराजजी महाराज
हरमुद्दा
रतलाम,16 मई। क्रोध ऐसा नशा है, जो शराब पिए बिना भी व्यक्ति को उन्मत बनाए रखता है। यह जीवन की सुंदरता, मधुरता, पवित्रता और सात्विकता को छिन्न-भिन्न कर देता है। आसुरी प्रकृति के लोगों में क्रोध की अधिकता पाई जाती है। क्षमा से विमुख होकर जो क्रोध को प्रश्रय देते है, वे अपने हाथों अपने पैरों पर कुल्हाडी चलाते है। कोरोना के इस संकटकाल में हर व्यक्ति को क्रोध के दुष्परिणामों का चिंतन करते हुए क्रोध मुक्ति का संकल्प करना चाहिए।
यह बात शांत क्रांति संघ के नायक, जिनशासन गौरव प्रज्ञानिधि,परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी महाराज ने कही। सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में विराजित आचार्यश्री ने धर्मानुरागियों को प्रसारित धर्म संदेश में कहा कि क्रोध का दूसरा नाम गुस्सा है, जो इन्सान को बर्बादी की और ले जाता है। गुस्से में अगर नौकरी छोडोगे, तो कॅरियर बर्बाद होगा, मोबाइल तोडोगे, तो धन बर्बाद होगा, परीक्षा नहीं दोगे, तो साल बर्बाद होगा और पत्नी पर चिल्लाओगे, तो रिश्ता बर्बाद होगा। गुस्सा हमारा मुंह खोल देता है, लेकिन आंखे बंद कर देता है। इसलिए क्रोध में सामने कौन व्यक्ति है, यह दिखाई नहीं देता और वह क्या बोल रहा है, यह भी समझ में नहीं आता है। गुस्सा पागलपन से शुरू होता है और पश्चाताप पर समाप्त होता है। एक दुश्मन जितना नुकसान नहीं करता, उतना क्रोध करता है। क्रोध ऐसी ज्वाला है, जो दूसरों को तो जलाती है साथ ही उसे भी जलाती है, जो उसका आश्रयदाता होता है। क्रोध की धार, तलवार की धार से अधिक तीक्ष्ण और सर्पदंश से अधिक मारक होती है। सांप का डसा तो एक जन्म का मारक होता हैै,मगर क्रेाध का डंक जन्मों-जन्मों का संहारक हो जाता है।
भयंकर परिणाम होते हैं क्रोध के
आचार्यश्री ने कहा कि अपनी समझ शक्ति को सही रखना ही क्रोध नियंत्रण की सही दवा है। समझ शक्ति के विकास में सहन शक्ति का विकास होता है और यही क्रोध के शमन का उपाय है। क्रोधी पर क्रोध करने की बजाए अपने ही क्रोध पर क्रोध करके उसे खत्म किया जा सकता हैं। क्रोध के निमित्त छोटे-छोटे होते है, मगर इसके परिणाम बहुत भयंकर और भयानक होते है। पशुवध करने वाला कसाई कहलाता है, तो क्रोधी उससे भी बडा कसाई होता है। यदि क्रोध करना ही हो, तो किसी को सुधारने के लिए करो। अपना अहंकार जलाने के लिए और किसी को नीचा दिखाने के लिए क्रोध करने की मूर्खता नहीं करना चाहिए। क्रोध को जीतने के लिए क्रोधी वातावरण से दूर रहे। मौन का अभ्यास बढाए। सकारात्मक व्यवहार करे और विनोदी स्वभाव के मालिक बनना चाहिए। क्रोध का प्रतिपक्षी तत्व क्षमा है। क्षमाशील वह होता है, जो कडवे अतीत का विस्मरण करता है। वर्तमान की मधुर स्निग्ध चिंतन धारा में जीता है और भविष्य में किसी प्रकार की छलावा नहीं करने का उदान्त संकल्प लेता है। क्षमा ही शत्रुभावों का निराकरण करने और मैत्री भावों का जागरण करने वाली होती है, इसलिए क्रोध से बचो और क्षमा का अनुसरण करो।
कोरोना वायरस से अधिक खतरनाकय है क्रोध
आचार्यश्री ने कहा कि जिस व्यक्ति के शरीर में पित्त की अधिकता होती है, उसका मुंह कडवा रहता है। इसी प्रकार जो व्यक्ति क्रोध की उग्रता में रहता है, उसका स्वभाव भी कडवा रहता है। कडवे स्वभाव के कारण ही वह सबकों अप्रिय लगता है। उसके पास कोई बैठना नहीं चाहता और ना ही कोई उससे संबंध बनाना चाहता है। क्रोधी से हर कोई बचकर रहता है। कोरोना वायरस की तरह यह भी बेहद खतरनाक वायरस होता है। क्रेाध एक संत को सांप बना देता है, तो क्षमा एक सांप को स्वर्ग का देव बना देती है। क्रोध से जहां स्वाभाविक शक्तियों का हास होता है, वहीं वैकारिक स्थितियों का विकास होता है। क्रोध में व्यक्ति वाॅक संयम की परिधि को लांघ जाता है। इससे संघर्ष, लडाई-झगडे, व वाद-विवाद पैदा होते है। क्रोध सभी बुराईयों का सरताज है।
कई बच्चों ने प्रतिक्रमण और थोकडा किया कंठस्थ
कोरोना महामारी के चलते हुए लाॅक डाउन सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन में श्रद्धेय आचार्यश्री विजयराजजी महाराज की स्थिरता का बच्चें पूरा लाभ ले रहे है। आचार्यश्री के सान्निध्य में कई बालक-बालिकाओं ने संत-सती वर्ग की प्रेरणा से संस्कारों की शिक्षा के साथ धार्मिक ज्ञानार्जन किया है। कई बच्चों ने इस दौरान प्रतिक्रमण और 25 बोल का थोकडा कंठस्थ कर लिया है। शांत क्रांति संघ रतलाम के अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं सचिव दिलीप मूणत ने बताया कि रक्षिता पिरोदिया, अनंत पिरोदिया, ऋषित पिरोदिया, अरिहंत पिरोदिया, सिद्धि पिरोदिया, सुहानी मूणत, ओजस्व-उदयन पिरोदिया, आशी पितलिया, पल्लवी पोखरना, रेनी पितलिया, सृष्टि मेहता, लब्धि खाबिया ने प्रतिक्रमण कंठस्थ किया है। इसी प्रकार रेखा लसोड ने भक्तामर, राखी ओरा, अवी पितलिया, सिद्धि पिरोदिया एवं हर्षित कांठेड ने 25 बोल का थोकडा कंठस्थ किया है। संघ ने इन सभी बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उम्मीद जताई है कि वे संस्कार और चरित्रवान बनकर देश एवं समाज सेवा में आगे बढेंगे।