ईद-उल-फितर : घरों में पढ़ी गई शुकराने की नमाज़, मांगी दुआ, न हाथ मिलाया, न लगे गले, डेढ़ सौ साल पुरानी परंपरा का नहीं हुआ निर्वाह

🔲 ईदगाह और मस्जिद रही सुनसान

🔲 खुशहाली और अमन के साथ कोरोना से निजात व छुटकारा पाने के लिए की दुआ

🔲 लॉक डाउन हुआ पालन

🔲 बच्चे घूमते हुए नजर आए नए कपड़े पहने

हरमुद्दा
रतलाम, 25 मई। रमजान माह के पूरे होने के मुबारक मौके पर सोमवार को घरों में धर्मावलंबियों द्वारा शुकराने की नमाज पढ़ी गई। परिजनों द्वारा ईद की मुबारकबाद दी गई। यह सिलसिला सुबह 10 बजे बाद से शुरू हुआ जो कि देर रात तक चलता रहा। बच्चे नए कपड़े पहने घूमते हुए नजर आए। ईदगाह और मस्जिद सुनसान रहे।

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ईदगाह पर लगा रहा ताला

सोमवार को शहर में ईद उल फितर का पर्व लॉक डाउन के नियमों के तहत मनाया गया। ईदगाह के ताले नहीं खोले गए। मस्जिदों में भी केवल दो व्यक्तियों के द्वारा नमाज अदा करने की अनुमति के चलते वहां पर भीड़ भाड़ नहीं रही। एक तरीके से मस्जिदें सुनसान ही रही। घरों में पढ़ी गई शुकराने की नमाज में मुल्क की खुशहाली व तरक्की के लिए दुआ की गई। कोरोना से निजात व छुटकारा पाने के लिए की दुआएं। मोहम्मद इसहाक खान ने बताया कि ईद की नमाज गांव या शहर के बाहर ईदगाह पर अदा होती है। लेकिन जब घर नमाज पढ़ी जाती है, वह अदा नहीं होती। घर की नमाज को शुकराने की नमाज कहते हैं।

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बाजार में भी नजर नहीं आए ईद मिलन के दृश्य

बाजारों में भी ईद मिलन के दृश्य नजर नहीं आए। यहां तक कि समाजजन भी घूमते हुए नजर नहीं आए, जिस तरह से घुमते है। बच्चे जरूर नए कपड़े पहने घूमते हुए दिखाई दिए। युवा वर्ग बाइक पर नजर आए।

प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे शहर काजी के यहां मुबारकबाद देने

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शहर काजी सैयद अहमद अली के निवास के बाहर ईद की मुबारकबाद देने के लिए कलेक्टर रुचिका चौहान, एसपी गौरव तिवारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे। सोशल डिस्टेंस और लॉक डाउन का पालन करते हुए ईद की मुबारकबाद दी।

150 साल की परंपरा का नहीं हुआ निर्वाह, रहा मलाल, प्रभु से की प्रार्थना महामारी का हो सफाया

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रतलाम शहर में गंगा जमुनी तहजीब के यहां कई उदाहरण मिलते हैं। हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल दी जाती है। 70 वर्षीय पुष्पेंद्र फलोदिया ने हरमुद्दा को बताया कि ईद उल फितर की नमाज अदा करने के बाद शहर काजी का जुलूस हमारे निवास स्थान पर आता था। काजी सा. बग्गी से नीचे उतरते थे और मुंह मीठा कर ईद मनाते थे। यह परंपरा दादाजी गणेशीलाल जी से शुरू हुई, जिसका निर्वाह पिता जमनालाल जी फलोदिया ने भी किया। पिताजी से मिले संस्कार और परंपरा का पालन अब तक फलोदिया परिवार करता आया है। लेकिन कोरोनावायरस जैसी महामारी के चलते परंपरा का पालन नहीं हो पाया, इसका मलाल रहेगा। हालांकि फोन पर मुबारकबाद हो गई है। काफी देर तक शहरकाजी सा. से चर्चा हुई। लेकिन जो आनंद आमने-सामने मिलने का होता है, जो खुशी मिलती है। वह अवर्णनीय है। आज पूरे परिवार ने प्रभु से प्रार्थना की है कि महामारी का जल्द सफाया हो और सभी उत्सव हम उल्लास के साथ मना सकें।

पुलिस प्रशासन रहा सतर्क

लॉकडाउन के चलते पहले से ही आगाह करने के कारण चौराहों, ईदगाहों, मस्जिद वीरान रहे। पुलिस प्रशासन शांति व्यवस्था के लिए सतर्क रहा। प्रमुख चौराहों पर पुलिस के जवान मौजूद रहे। जिले के आला अधिकारी भ्रमण पर रहे। जिले में शांति पूर्वक ईद मनाने, लॉक डाउन का पालन करने, भीड़ से बचने में सहयोग पर लोगों का आभार व्यक्त किया।

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