साहित्य जगत के प्रखर आलोचक नामवर सिंह का निधन
हरमुद्दा डॉट कॉम
नई दिल्ली। हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह का मंगलवार की मध्य रात्रि यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। नामवर सिंह गत एक माह से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार दोपहर तीन बजे लोधी रोड शव गृह में किया जाएगा। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री है।
बता दें कि इसी साल जनवरी में वह अपने घर में अचानक गिर गए थे। जिसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया था कि उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। लेकिन वो ख़तरे से बाहर हो गए थे और डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत में सुधार भी हो रहा था। परिजनों के मुताबिक लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर बुधवार दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
28 जुलाई, 1926 को तत्कालीन बनारस जिले के जीयनपुर गांव में नामवर सिंह का जन्म हुआ था। नामवर सिंह ने अपने लेखन की शुरुआत कविता से की और 1941 में उनकी पहली कविता ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका में छपी।
डॉक्टर नामवर सिंह का जन्म जुलाई 1926 में यूपी के चंदौली जिले के जीयनपुर गांव में हुआ था। डॉ. नामवर सिंह हिंदी साहित्य के बड़े रचनाकार हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य थे। उनकी गिनती हिंदी साहित्य जगत के बड़े समालोचकों में थी।
साहित्य को दी नई दिशा
हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
लोगों को देते थे सम्मान
डा. नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे। उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ।
राजनाथसिंह, गृह मंत्री
ताकतवर आवाज खो दी
नामवर सिंह के निधन से भारतीय भाषाओं ने अपनी एक ताकतवर आवाज खो दी है। समाज को सहिष्णु, जनतांत्रिक बनाने में उन्होंने जिंदगी लगा दी। हिंदुस्तान में संवाद को बहाल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
राहुल गांधी,
नए आयाम दिए साहित्य को
प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डॉ. नामवर सिंह जी के निधन पर मेरी शोक संवेदनाएं। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिंदी साहित्य को नए आयाम दिए, उनका देहांत हिन्दी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिवार को इस गहन दुःख को सहने की शक्ति दे।
आनंदीबेन पटेल, राज्यपाल, मध्यप्रदेश