समाज सेवा की सुषमा व लायनवाद का सितारा हो गया अस्त
🔲 सेवा मनीषी सुषमा श्रीवास्तव हम सबको कह गई अलविदा
रतलाम, 4 जून। जिंदगी और मौत के बीच कड़े संघर्ष के बाद अंततोगत्वा मौत की जीत हो गई और लोह महिला के नाम से मशहूर लायनवाद की प्रखर प्रणेता सेवा मनीषी सुषमा श्रीवास्तव हम सबको अलविदा कह कर पंचतत्व में विलीन हो गई। सुषमा जी विगत कई दिनों से किडनी रोग से पीड़ित थी इसके बावजूद जिंदगी जीने का उनका जुनून लाजवाब था। बुलंद हौसलों का प्रतीक अपने सामाजिक जीवन को एक आदर्श जीवन में व्यतीत करने वाली ऐसी महिला थी जिनकी सोच और विचारों में हमेशा गरीबों की सेवा उनके उद्धार के प्रति संवेदनाओं का अपार भंडार था।
मूलत: जबलपुर की रहने वाली अपने पति प्रोफेसर एचएस श्रीवास्तव के साथ जब वे रतलाम आई, तब से वे रतलाम के जनजीवन और रतलामवासियों की हो गई सामाजिक संचेतना उनके विचार और आदतों में शुमार थी।
राजनीति रास ना आई। समाज सेवा में जिंदगी बिताई
थोड़े दिनों के लिए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन भी थामा, लेकिन राजनीति उन्हें रास नहीं आई। वह पुन: समाज सेवा की पटरी पर लौट आई। यही उनके सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण का सबसे बड़ा प्रमाण था वे रतलाम लायंस क्लब की रीड की हड्डी थी। लायंस क्लब लायनेस क्लब लायंस क्लब समर्पण के माध्यम से उन्होंने जनसेवा का एक मजबूत प्लेटफार्म बनाया। अपने सफल नेतृत्व गुणों के बल पर रतलाम की अग्रणी सामाजिक सेवा में सक्रीय महिलाओं को अपने साथ जोड़ कर लायनवाद की नींव को मजबूत किया।
प्रेरित करना उनका सबसे बड़ा गुण
उनके सफल नेतृत्व में लायनवाद को एक जन आंदोलन का रूप देकर आमजन तक लायंस क्लब की सेवाओं को पहुंचाया। दान-दाताओं को गरीबों की सेवाओं के लिए प्रेरित किया। विशेषकर महिला उद्धार एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। यही कारण था कि लायंस क्लब डिस्ट्रिक्ट 32 33 में पिछले 25-30 वर्षों से वे महिलाओं से जुड़े हर प्रोजेक्ट में मुख्य भूमिका में थी। लोगों को उनकी प्रतिभाओं के अनुसार सेवा कार्यों में संलग्न कर गरीबों के उद्धार के लिए प्रेरित करना उनका सबसे बड़ा गुण था। मृदुभाषी सफल वक्ता और कार्यक्रमों को अपनी अनूठी संचालन शैली से लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाना जो उनकी विशेषता थी। कुछ समय के लिए भोपाल आकाशवाणी केंद्र में भी वे कार्यरत रही।
संस्कारों और सांस्कृतिक वातावरण की वे अग्रणी पैरोकार
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनकी गहरी रुचि रही। लायंस क्लब की गतिविधियों में हमेशा संस्कारों और सांस्कृतिक वातावरण की वे अग्रणी पैरोकार थी। गंभीर बीमारी होने के बाद भी मरते दम तक उन्होंने सेवा कार्यों से अपने को जोड़े रखा। कोरोना महामारी के उन्मूलन में सैनिटाइज तथा मास्क वितरण में उनकी भूमिका अग्रणी रही। लायंस क्लब समर्पण की वे संस्थापक थी। इसके अलावा अनेकों सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर उन्होंने वंचित और पिछड़े क्षेत्रों में राष्ट्रीय जन सेवा के कार्यक्रमों को प्रचारित एवं क्रियान्वित करवाया। उनके जाने से सामाजिक क्षेत्र में जो रिक्तता आई है। उसकी पूर्ति असभव है।
🔲 दिनेश कुमार शर्मा
झोन चेअरपर्सन, लायंस ऑफ रतलाम