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सफलता की पहचान है निरंतरता : समाजसेवी वाफगांवकर

🔲  श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ का मनाया स्थापना दिवस 

हरमुद्दा
रतलाम 30 जून। कार्य की निरंतरता ही सफलता की पहचान है। विद्यापीठ का 13 वां स्थापना दिवस कार्य की का प्रतीक है। हमें निरंतर कर्म करते रहना चाहिए ।
यह विचार वरिष्ठ समाजसेवी वीरेंद्र वाफगांवकर ने मंगलवार को ब्राह्मण वास स्थित श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा महादान का माध्यम है। कोरोना महामारी को लेकर श्री वाफगांवकर ने कहा कि हमें शारीरिक दूरी रखकर ही समस्त नियमों का पालन करते हुए इस महामारी से बचना चाहिए।

यह थे मौजूद

कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के उपाध्यक्ष अरुण त्रिपाठी ने की। विद्यापीठ सचिव मांगीलाल व्यास व सदस्य अनिल पांड्या विशेष रूप से उपस्थित थे। स्वागत उदबोधन विद्यापीठ सहसचिव सतीश त्रिपाठी ने दिया। स्वागत प्रधानाध्यापिका शिल्पा राठौर ने किया। संचालन शिक्षिका प्रज्ञा जोशी ने किया। आभार अनिल पंड्या ने माना । कार्यक्रम में श्री महर्षि श्रृंग की आरती की गई।

वीरेंद्र त्रिपाठी ने दिया आर्थिक सहयोग

विद्यापीठ के स्थापना दिवस पर संचालन समिति सदस्य वीरेंद्र त्रिपाठी द्वारा अपने विवाह की 49 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सुमन वीरेंद्र त्रिपाठी द्वारा ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपए का आर्थिक सहयोग विद्यापीठ के विकास के लिए दिया गया।

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