हरमुद्दा
सोमवार, 17 अगस्त। भारतीय शास्‍त्रीय गायक पंडित जसराज नहीं रहे। उन्‍होंने अमेरिका के न्‍यू जर्सी में आखिरी सांस ली। जसराज भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक थे। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी है।

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प. जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। उन्‍हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभुषण सम्‍मान दिया गया था।

संगीत जगत की अपूरणीय क्षति

उनके निधन पर लोक संगीत गायिका मालिनी अवस्थी ने दुख प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि मूर्धन्य गायक, मेवाती घराने के गौरव पद्मविभूषण पंडित जसराज जी नही रहे। आज अमरीका में उन्होंने अंतिम सांस ली। संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है! विनम्र श्रद्धांजलि!

मेवाती घर आने से रहा संबंध

जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को एक ऐसे परिवार में हुआ जिसे 4 पीढ़ियों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक शिल्पी देने का गौरव प्राप्त था। उनके पिताजी पंडित मोतीराम जी स्वयं मेवाती घराने के एक विशिष्ट संगीतज्ञ थे। जसराज का संबंध मेवाती घराने से रहा।

4 बरस की उम्र में ही पिता का उठ गया था साया

जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहांत हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पंडित मणिराम के संरक्षण में हुआ। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया है।

‘हवेली संगीत’ पर व्यापक अनुसंधान

जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया। उनके कुछ शिष्य संगीतकार भी बने। उन्होंने बाबा श्याम मनोहर गोस्वामी महाराज के सान्निध्य में ‘हवेली संगीत’ पर व्यापक अनुसंधान कर कई नवीन बंदिशों की रचना भी की है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान है।

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