आपदा को अवसर में बदलने की पहल, उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के बच्चे बने जूनियर शिक्षक
🔲 नवाचारी पहल में हुई “मैं हूँ जूनियर टीचर प्रतियोगिता”
🔲 जूनियर शिक्षकों की प्रतिभा से आश्चर्यचकित है शिक्षक
हरमुद्दा
शाजापुर, 04 सितंबर। कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण जहाँ एक तरफ देश के सभी विद्यालय बंद है, बच्चे परंपरागत पढ़ाई के स्थान पर ऑनलाइन माध्यम का सहारा लेकर पड़ रहा है। इस आपदा की स्थिति को अवसर में बदलने के लिए उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर के शिक्षक ओम प्रकाश पाटीदार के मार्गदर्शन में नवाचारी पहल कर “मैं हूँ जूनियर टीचर प्रतियोगिता” का आयोजन किया गया।
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी व प्राचार्य के.के. अवस्थी ने बताया कि प्रतिवर्ष 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। कोरोना महामारी के दौरान स्कूल बंद है। बच्चे घर पर पड़ रहे है, शिक्षक वैकल्पिक माध्यम से बच्चों को पढ़ा रहे है। इस अवसर पर बच्चे भी अपने छोटे भाई-बहन को पढ़ाने के दौरान शिक्षक की भूमिका का निर्वहन कर रहे है। छात्रों की इसी प्रतिभा को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से उत्कृष्ट विद्यालय शाजापुर द्वारा “मैं हूं जूनियर टीचर” प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
75 से अधिक विद्यार्थियों ने भेजे वीडियो
इस प्रतियोगिता में विद्यालय की अलग-अलग कक्षाओं से 75 से अधिक विद्यार्थियों ने अपनी कक्षा की विषयवस्तु का अध्यापन करते हुए वीडियो बना कर विद्यालय को ईमेल व व्हाट्सएप्प के माध्यम से भेजे। इस वीडियो को देख कर विद्यालय के शिक्षक भी आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि इन वीडियो के माध्यम से बच्चों ने न सिर्फ विषय की बारीकियों को समझा, बल्कि उसे तकनीकि से जोड़ कर बेहतरीन कंटेंट प्रस्तुत भी किया।
समर्पण का भाव विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई प्रतियोगिता
गतिविधि प्रभारी श्री पाटीदार के अनुसार यह गतिविधि बच्चों में विषय की समझ के साथ-साथ सम्प्रेषण कौशल, अभिव्यक्ति के गुण के साथ-साथ गुरुजनों के प्रति समर्पण का भाव विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों ने अपने विषयवस्तु के साथ-साथ तकनीकि कौशल में स्वयं को सिद्ध किया है।
शुरू में थी मन में झिझक
कक्षा 11वी के पिंटू नायक ने बताया कि “मैं हूं जूनियर टीचर” प्रतियोगिता में भाग लेने के पूर्व मन मे झिझक थी, विषय को लेकर डर था, लेकिन जब मैने वीडियो बनाने के पहले पाठ को पांच से छः बार पड़ा तो पूरा कंटेंट याद हो गया, वीडियो बन गया और फिर मैने वीडियो की एडिटिंग भी अच्छे से कर ली। इस प्रतियोगिता से मेरा आत्मविश्वास बढ़ने के साथ-साथ विषय की समझ भी बढ़ी है।
बहुत कुछ सीखने को मिला
कक्षा 9वी के सूरज बंजारा ने बताया कि “मैने इस वर्ष उत्कृष्ट विद्यालय में 9वी में प्रवेश लिया। शुरू-शुरू में डर था, इतना बड़ा स्कूल, मैं यह कैसे करूँगा, लेकिन अब मैने अपना वीडियो बनाया और भेज दिया बहुत कुछ सीखने को मिला”।