विदिशा लोकसभा क्षेत्र पर सबकी नजर, साधना सिंह की संभावना चुनाव लड़ने की

नई दिल्ली/विदिशा। मध्यप्रदेश के विदिशा लोकसभा क्षेत्र पर सबकी नजर है। सुषमा स्वराज की तरह बीजेपी का कोई अन्य दिग्गज नेता इस सुरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने नहीं आता तो साधना सिंह के चुनाव मैदान में उतरने की पूरी संभावना है। यह सीट जनसंघ का गढ़ रही है और बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है।
साल 2009 से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस क्षेत्र से चुनकर आ रही हैं। इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है, इसलिए यह जिज्ञासा का विषय हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इस सीट से कौन होगा प्रत्याशी? मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सीट पर 1991 से 2004 तक पांच चुनावों में जीत हासिल कर चुके हैं।
विदिशा सीट के लिए बीजेपी की ओर से सबसे प्रबल दावेदार शिवराज सिंह चौहान हैं। हालांकि उन्होंने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद कहा था कि वे केंद्र में जाना नहीं चाहते। अपने प्रदेश में ही काम करेंगे। उनकी यदि यही मंशा अब भी है तो बीजेपी इस सीट पर कोई अन्य प्रत्याशी उतारेगी। चर्चा शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह के नाम की भी हो रही है।
कोई चुनाव नहीं लड़ा
साधना सिंह ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन वे अपने पति शिवराज सिंह के साथ उनके राजनीतिक सफर में हर पल साथ रही हैं। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के अपने गृह जिले सीहोर के साथ-साथ विदिशा, रायसेन, होशंगाबाद और भोपाल जिले में दो से तीन दशक पहले सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्राएं कर चुके हैं। उनके पैदल घूमने के कारण ही उन्हें लोग ‘पांव-पांव भैया’ भी कहते रहे हैं। इन पदयात्राओं से शिवराज ने जनमानस में अपनी गहरी पैठ जमाई। साधना सिंह भले ही सक्रिय राजनीति में नहीं रही हैं, लेकिन शिवराज के मुख्यमंत्री के 13 साल के कार्यकाल में और पहले भी वे निरंतर जनसंपर्क करती रही हैं। यदि शिवराज सिंह चाहेंगे तो साधना सिंह का विदिशा से चुनाव लड़ना तय है।
1984 के बाद नहीं जीती कांग्रेस
विदिशा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ होने के कारण कांग्रेस 1989 से इस सीट पर पराजित होती आ रही है. कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ 1980 और 1984 में जीत हासिल कर सकी।विदिशा लोकसभा क्षेत्र सन 1967 में अस्तित्व में आया था। सन 1967 का चुनाव देश की चौथी लोकसभा के लिए हुआ था। वर्तमान में केंद्रीय विदेश मंत्री और बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वे इस क्षेत्र से 2009 से लगातार दो चुनाव जीती हैं। सुषमा से पहले शिवराज सिंह इस क्षेत्र से सांसद रहे हैं। उन्होंने इस क्षेत्र से 1991 का उपचुनाव और उसके बाद लगातार चार चुनाव जीते। सन 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने इस सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने यह सीट छोड़ी तो यह शिवराज सिंह का गढ़ बन गई।

जनसंघ से छीन ली

विदिशा लोकसभा क्षेत्र के सन 1967 में अस्तित्व में आने के बाद पहला चुनाव जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने जीता था। सन 1972 में जनसंघ के टिकट पर प्रसिद्ध अखबार इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता के मालिक रामनाथ गोयनका चुनाव जीते। सन 1977 में यह सीट भारतीय लोकदल ने जनसंघ से छीन ली र राघवजी भाई सांसद बने, हालांकि आगे चलकर राघवजी ने लोकदल से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए। वे मध्यप्रदेश में कई साल मंत्री भी रहे।

नहीं डिगा पाई
सन 1977 के चुनाव में जहां आपातकाल के असर ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था वहीं साल 1980 में कांग्रेस के पक्ष में चली लहर ने विदिशा सीट भी उसकी झोली में डाल दी। कांग्रेस के प्रतापभानु शर्मा ने यह चुनाव जीत लिया। इसके बाद 1984 का चुनाव भी शर्मा ने जीता। बाद में 1989 में राघवजी भाई बीजेपी से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद से विदिशा से बीजेपी को कांग्रेस नहीं डिगा पाई। पिछले लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने 714348 वोट हासिल किए थे जो कि कुल मतदाताओं का 43 फीसदी थे। उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को उतारा था। लक्ष्मण सिंह को 303650 वोट मिले थे जो कि 18 फीसदी थे।

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