ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का प्रधानमंत्री ने किया शिलान्यास, करोड़ों देशवासियों की आस्था का स्थल

वाराणसी, 8 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास किया। यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाता है। प्रधानमंत्री ने शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान कहा कि जब मैं प्रधानमंत्री नहीं था, तब भी यहां आता था और मुझे लगता था की यहां कुछ करना चाहिए। लेकिन भोले बाबा ने तय किया होगा कि बेटे बातें बहुत करते हो, यहां आओ और कुछ करके दिखाओ और आज भोले बाबा के आशीर्वाद से वो सपना पूरा हो रहा है। शिलान्यास के पहले प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा के साथ की।
उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ महादेव मंदिर करोड़ों देशवासियों की आस्था का स्थल है। लोग यहां इसलिए आते हैं कि काशी विश्वनाथ के प्रति उनकी अपार श्रद्धा है। उनकी आस्था को अब बल मिलेगा। ये काशी विश्वनाथ धाम, अब काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के रूप में जाना जाएगा। इससे काशी की पूरे विश्व में एक अलग पहचान बनेगी।
बाबा की चिंता किसी को नहीं
उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से भोले बाबा की चिंता किसी ने नहीं की, सभी ने अपनी-अपनी चिंता की। अच्छा हुआ कि भोलेबाबा ने हमारे भीतर एक चेतना जगाई। इसके कारण 40 से ज्यादा पुरातात्विक मंदिर इस पूरे धाम के अंदर से मिले। अब इन मंदिरों की मुक्ति का रास्ता भी खुला है। जब महात्मा गांधी यहां आए थे, तो उनके मन में भी ये पीड़ा थी की भोले बाबा का स्थान ऐसा क्यों? अब मां गंगा को सीधे बाबा भोलेनाथ से जोड़ दिया गया है। अब श्रद्धालु गंगा स्नान करके सीधे भोले बाबा के दर्शन करने आ सकेंगे।
क्या है योजना
यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है। इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद आप गंगा किनारे होकर 50 फीट सड़क से बाबा विश्वनाथ मंदिर जा सकेंगे। इसके अलावा यहां आपको बेहतर स्ट्रीट लाइट्स, साफ़-सुथरी सड़कें, पीने के पानी का इंतजाम मिलेगा। इसके अलावा काशी के प्राचीन मंदिरों को संरक्षित किया जाएगा। अभी यहां घनी अाबादी क्षेत्र है और भवनों की खरीद और ध्वस्तीकरण का काम तेजी से चल रहा है।
डिजिटल लाइब्रेरी
कॉरिडोर की जड़ में में आने वाले मंदिरों, सड़कों समेत कई इमारतों को संवारा जा रहा है। इसके लावा दो पुराने पुस्तकालयों को भी इस प्रोजेक्ट के तहत संवारने का काम किया जा रहा है। इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है. जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
खतरें पड़ गई पहचान
सरकार काशी को क्योटो की तरह खूबसूरत बनाने की कोशिश में है, लेकिन वाराणसी की जनता के लिए सरकार का ये प्लान मुश्किल भरा है, क्योंकि यहां बेतहाशा इमारतें तोड़ी जा रही हैं, लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से काशी की ऐतिहासिक पहचान ही खतरे में पड़ गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के विकास वर्ष 1780, 1853 के बाद 2019 में हो रहा है। इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1780 में इस इलाके का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने किया था। उनके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था। अब प्रधानमंत्री 2019 में इस परिक्षेत्र को विकसित करवा रहे हैं।

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