“नारी गमले के पौधे के समान”

इंदु सिन्हा
नारी का भाग्य टेरिस पर गमले में उगाए गए पौधे के समान है ,तो गलत नहीं होगा, जैसे गमले के पौधे को गमले के अंदर ही पनपना होता है, ठीक अधिकांश महिलाओं की भी स्थिति वैसी ही है,खुला आकाश नहीं मिलता,सीमित दायरे में रहो, उन्नक्ति का प्रतिशत कम है।अधिकांश पुरुषों की मानसिक स्थिति भी पिछड़ी ही है। सबूत है माँ ,बहन,बेटी की गंदी भद्दी गालियां, ये पुरुषवर्ग द्वारा दी जाती है,उसके बाद कहना हम महिलाओं का सम्मान करते है। दोगलेपन की हद है।

लेखिका, रतलाम रेल मंडल कार्यालय

में है और जे सी बैंक

रतलाम मण्डल /दाहोद में डायरेक्टर भी हैं।

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