पुण्योत्सव / पांचवा सत्र : सरकारें बेटी बचाओ अभियान में महान नारियों के कार्यों को समाहित करें : स्वामी जी
हरमुद्दा
रतलाम (मप्र), 11 अक्टूबर। महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिद्म्बरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमारी सरकारें बेटियों को बचाने और आगे बढ़ाने का प्रसंसनीय कार्य कर रही है लेकिन सनातन संस्कृति में बेटियों को बचाने के लिए महान नारियों ने सहस्त्रों वर्ष पूर्व ही आदर्श स्थापित किया था। सरकारों को चाहिए कि वे महान आदर्श सुलभा, गार्गी, देवकी आदि के चित्रों और उनके कार्यों को इस अभियान में समाहित करें, जिससे समाज को प्रेरणा मिलेगी। कारागार में यशोदा की पुत्री को बचाने के लिए देवकी ने अपने बेटे के जीवन की परवाह नहीं की थी। कंस के हाथों से बेटी को बचाने का ऐसा आदर्श और किस संस्कृति में देखने को मिलेगा।
स्वामीजी “पुण्योत्सव” पांचवें सत्र में श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करवा रहे है। दयाल वाटिका में हरिहर सेवा समिति रतलाम समिति अध्यक्ष व आयोजक मोहनलाल भट्ट परिवार ने भागवतजी पोथी पूजन किया। कथा क्रम में भगवान की बाल लीलाओं के वर्णन के साथ भगवान को 56 पकवानों का भोग लगाया गया।
लिया पूजन आरती का लाभ
यहां अखंड ज्ञान आश्रम संचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी महाराज, कालिका माता सेवा मंडल ट्र्स्ट अध्यक्ष राजाराम मोतियानी, पं. विजय उपाध्याय, हरीश सुरोलिया, रमेश सोनी आदि ने आरती का लाभ लिया। सुनील भट्ट ने भजनों की प्रस्तुति दी।
दुनिया को हमने सीखाया
स्वामीजी ने कहा कि जिस संसार में कोई सार नहीं है, उसी संसार में हम सुख खोजते है। यही वजह है कि हम कभी सुखी नहीं हो पाते है। भोगो को भोगने से रोग ही मिलते है, जिससे तरह तरह की बिमारियाँ समाज के लिए मुसीबत बन जाती है। जबकि सच्चाई यह है कि दुनिया को हमें आहार-विहार, संयम और सदाचार सीखाया है। विदेशी संस्कृति के प्रभाव में आकर हम अपना मूल स्वभाव और संस्कृति को भूल बैठे।
लीलाओं में संदेश समाहित
आपने कहा कि जब गोपियाँ भगवान के दर्शन करने जाती थी, तब वे श्रगार करके जाती थी। सोलह श्रगार भारत की देन है। ऋषि परम्परा ने शरीर को भगवान के लिए सजाने और मन को सुमन बनाने का सन्देश दिया है। जिसका मन ही मन्दिर बन जाता हैम वंहा परमात्मा को प्रकट होने में देर नहीं लगती है। भगवान की मधुर लीलाओं में कई संदेश/ शिक्षाएं समाहित है। जो लोग शास्त्र नहीं पढ़ते, वे भगवान के अवतार और उनकी लीलाओं पर आक्षेप लगाते है। जबकि सबसे बड़ा प्रमाण पुराण है।
श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम सोमवार को
अधिक मास में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर पारिवारिक आयोजन में रूप में श्रीमद भागवत कथा का विश्राम सोमवार को होगा।