रशीद अहमद शेख़ की रचना : दाम्पत्य जीवन का पावन अनुपम पर्व करवा चौथ
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🔲 रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’
दाम्पत्य जीवन का पावन अनुपम पर्व!
करवा चौथ सहर्ष मनाते युगल सगर्व!
इससे बढ़ता पति-पत्नी का प्यार अधिक!
सुखद-सुरक्षित होता है जीवन वैवाहिक!
हो जाता बहुगुणित मध्य उनके विश्वास !
और अधिक आते वे इक दूजे के पास!
करती है श्रीमती नवल सोलह श्रृंगार!
निर्जल व्रत रख लखे चौथ राकेशाकार!
करती है प्रभु से सुहाग की सतत विनय!
और चाहती कंत सहित जीवन निर्भय!
विनय पत्नी की बनती है स्वामी की ढाल!
दीर्घ काल तक दोनों रहते हैं ख़ुशहाल!
🔲 रशीद अहमद शेख़ ‘रशीद’