द्वादश ज्योतिर्लिंग पदयात्रा : संतों एवं गुरुभक्तों के संग किया राष्ट्र धर्म विजय पदयात्रा ने नवम् ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ भगवान का महाअभिषेक
🔲 विश्व कल्याणार्थ, पर्यावरण, गौ, जल, जंगल, जीव की रक्षा हेतु भगवान श्री सोमनाथ महादेव से की प्रार्थना
हरमुद्दा
वेरावल सोमनाथ/ रतलाम 7 नवंबर। श्रीनित्यानंद आश्रम के संत श्री नर्मंदानंद जी बापजी द्वारा की जा रही द्वादश ज्योतिर्लिंग राष्ट्रधर्म विजयपद यात्रा के दौरान शनिवार को नवम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ भगवान (गुजरात ) का महा अभिषेक किया गया विश्व कल्याणार्थ, पर्यावरण, गौ, जल, जंगल, जीव की रक्षा हेतु भगवान श्री सोमनाथ महादेव से प्रार्थना की गई।
श्रीनित्यानंदआश्रम भक्त मंडल के सदस्य एवं समाजसेवी राजेश सक्सेना ने हरमुद्दा को बताया कि अभिषेक पश्चात लीलावती ट्रस्ट आश्रम में सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग की की जा रही कठोर पद यात्रा के लिए श्री 1008 समर्थ श्री नित्यानन्द आश्रम के पूज्य संत श्री 1008 नर्मदा नंद बापजी का पुष्प वर्षा व पूजन करते हुए शाल श्रीफल से स्वागत अभिनंदन किया गया। पूज्यपादसंत श्री नर्मदानंद बापजी ने अपने आशीर्वचन में यात्रा की कई रोचक एवं उदेश्य की जानकारी दी तथा सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया।
29 सितंबर 2019 से जारी है यात्रा
उल्लेखनीय है कि यह यात्रा 29 सितम्बर 2019 को गंगोत्री से प्रारंभ होकर भगवान केदारनाथ, विश्वनाथ, वैद्यनाथ, मल्लिकार्जुन, रामेश्वरम, भीमाशंकर, त्रंबकेश्वर, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग होते हुए बाबा सोमनाथ महादेव ज्योतिर्लिंग का अभिषेक कर यात्रा का नवम् ज्योतिर्लिंग पूर्ण किया। यात्रा अगले पड़ाव दशम ज्योतिर्लिंग नागेश्वर की ओर प्रस्थान करेगी।
द्वारकापुरी के द्वारकाधीश मंदिर पर 19 नवंबर को चढ़ाएंगे ध्वजा
19 नवंबर 2020 को द्वारका में द्वारकाधीश मन्दिर पर सन्तश्री 1008 नर्मंदानंद जी बापजी द्वारा शाम 5 बजे धर्म ध्वजा चढ़ाई जाएगी। उसके पश्चात नागेश्वर ज्योतिर्लिंग यह यात्रा पहुंचेगी।
यात्रा में सैकड़ों भक्तों ने लिया धर्म लाभ
रतलाम से श्रीनित्यानंदआश्रम भक्त मंडल के सदस्य श्री सक्सेना बताया कि संतश्री 1008 नर्मदा नंदजी बापजी के साथ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के महाभिषेक में आचार्य महामण्डलेश्वर निर्वाण पीठाधिश्वर श्री विशोकानंदजी, महामण्डलेश्वर जूनागढ़ विशम्भर भारतीजी, सोमनाथ मन्दिर ट्रस्टी श्री जी.डी.परमार, एनिमल बोर्ड गुजरात चेयरमैन दिलीप शाह, मप्र मेला प्राधिकरण पुर्व अध्यक्ष श्री विजय दुबे, जन अभियान परिषद पूर्व अध्यक्ष प्रदीप पांडे, विक्रमनागरे (नासिक महाराष्ट्र), फिल्म सिटी गुजरात के नरेंद्रसिंह झाला, देवेन्द्र सिंह रघुवंशी (नंदुरबार), गोपाल महाराज रतलाम, श्री नित्यानन्दआश्रम ट्रस्ट रतलाम के ट्रस्टीगण, भाजपा नेता एवं समाजसेवी प्रेम उपाध्याय, संदीप यादव, अशोक चौहान सहित विभिन्न प्रांतो से आए सैकड़ों गुरुभक्तो एवं साथ चल रहे सभी पदयात्रियों ने शामिल होकर धर्म लाभ लिया
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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की गाथा
🔲 राजेश सक्सेना
सोमनाथ मन्दिर भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित भारतवर्ष के पश्चिमी छोर पर गुजरात नामक प्रदेश स्थित, अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर का नाम है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है।
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
रात को होता है 1 घंटे लाइट एंड साउंड शो
सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है। लोक कथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया। सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबन्ध किया है। यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है।
होता है तीन नदियों का महासंगम
चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।