… तो मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने होगा रास्ता साफ
दिल्ली (हरमुद्दा. कॉम)। बुधवार को पुलवामा हमले के बाद मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकी घोषित करने के मामले में चीन का रुख साफ होगा। इस प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए आखिरी तारीख 13 मार्च है। अगर इस अवधि में कोई देश स्पष्टीकरण नहीं मांगता तो मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का रास्ता साफ हो जाएगा। चीन के रुख में बदलाव हुआ तो यह ऐतिहासिक पहल होगी। भारत सहित दुनिया के कई देशों ने चीन को मनाने का प्रयास किया है। लेकिन अभी तक चीन ने अपना रुख साफ नहीं किया है।
सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव लाने वाले देश अमेरिका, फ्रांस व ब्रिटेन ने भी चीन को राजी करने की कोशिश की है।
पाकिस्तान पर कई देशों के दबाव
पाकिस्तान पर ज्यादातर देशों का दबाव है कि वह मसूद अजहर का बचाव करना छोड़ दे तो संभव है कि इस कदम से क्षेत्रीय शांति व स्थिरता प्रभावी हो सके। भारत ने सऊदी अरब व तुर्की जैसे देशों से भी संपर्क साधकर मसूद अजहर पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने का प्रयास किया है। सूत्रों ने बताया कि पूरे मामले में चीन का रुख सबसे अहम रहने वाला है। क्योंकि चीन ने ही हर बार मसूद अजहर से जुड़े प्रस्ताव पर रोड़ा अटकाया है।
और मसूद की सारी संपत्तियां होगी जब्त
भारत लंबे समय से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग कर रहा है। दुनिया के तीन बड़े ताकतवर देशों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में 28 फरवरी को इस बारे में प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में चर्चा होनी है।
वैश्विक आतंकी घोषित करने के बाद क्या
संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी सदस्य देश की यात्रा पर रोक लग जाएगी। उसकी सारी चल-अचल संपत्ति फ्रीज कर दी जाएगी। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े देश के लोग किसी तरह की मदद नहीं दे सकेंगे। कोई भी देश मसूद को हथियार मुहैया नहीं करा सकेगा
भारत के साथ कौन-से देश
अमेरिका, फ्रांस और रूस मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव ला चुके हैं । न्यूजीलैंड की संसद ने पिछले दिनों निंदा प्रस्ताव पारित किया था। इजरायल ने मसूद पर कार्रवाई के लिए बिना शर्त मदद की पेशकश की है। भारत ने समर्थन जुटाया। भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मुलाकात की। अमेरिका के अलावा सऊदी अरब, यूएई और तुर्की से भी समर्थन देने की अपील।