होलाष्टक 14 मार्च से: मांगलिक आयोजन पर विराम, 21 को है होली दहन

हरमुद्दा डॉट कॉम
रतलाम। होलिका दहन 21 मार्च को है। होली से 8 दिन पहले शुरू होलाष्‍टक के साथ ही मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। होलाष्टक को अशुभ समय माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्‍टक 14 मार्च से प्रारंभ होगा और 21 मार्च तक रहेगा।

पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने “हरमुद्दा” को बताया कि 15 मार्च की सूर्योदय से पहले सूर्य मीन राशि में आएंगे। इसलिए ज्योतिषीय आधार पर मीन संक्रांति 14 मार्च की होगी, लेकिन इसका पुण्यकाल 15 मार्च को माना जाएगा। मीन राशि में सूर्य 14 अप्रैल तक रहेंगे। खरमास शुरू होने के कारण इस दौरान कोई भी मांगलिक आयोजन, मुंडन या फिर गृह प्रवेश जैसा शुभ संस्‍कार नहीं होंगे।
होती है नकारात्मक ऊर्जा
पंडित ओझा ने बताया कि पौराणिक मान्‍यताएं हैं कि होली से 8 दिन पहले याने कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ जाता है। इस कारण कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं। होलाष्टक को लेकर मान्‍यता है कि दैत्य राज हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाकर प्रताड़ित किया था। होलिका ने भी प्रह्लाद को जलाने की तैयारी इस दिन से शुरू कर दी थी और खुद होलिका दहन के दिन भस्म हो गई जिसके बाद रंगोत्सव मनाया गया है।
कामदेव को किया था भस्म
भगवान शिव ने होलाष्टक के दिन कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे प्रकृति में शोक की लहर फैल गई थी और लोगों ने शुभ कार्य करना बंद कर दिए थे। होली के दिन भगवान शिव से कामदेव के वापस जीवित होने का वरदान मिल जाने से बाद प्रकृति आनंदित हो गई। इसलिए होलाष्टक से होलिका दहन के बीच का समय शुभ नहीं माना जाता है।

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