होली केवल रंगों का ही नहीं व्यंजनों का है त्यौहार, पकवान परोसकर लेते है दाद
हरमुद्दा
रसोईघर। कहते हैं खिलाकर खाओगे तो खिलाओगे। होली का त्यौहार भी ऐसा ही है। इस पर्व पर बनाए जाने वाले लज्जतदार व्यंजनों की खुशबू अपने आप ही लोगों के मुंह में पानी ला देती है। होली में बहुत-सी वैरायटी के पकवान बनाए जाते हैं जिनमें श्रीखंड, आम या अंगूरी का श्रीखंड, मालपुआ, गुझिया, खीर, कांजी बड़ा, पूरन पोली, कचौरी, पपड़ी, मूंग हलवा आदि व्यंजन घरों में मुख्य रूप से तैयार किए जाते हैं जिसकी तैयारी गृहणियां हफ्ते भर पहले से शुरू कर देती हैं।
मिलावटी से रहे दूर, सेहत भरपूर
त्योहारों के करीब आते ही, मिलावटी वस्तुओं का बाजार भी गर्म हो जाता है, जिसके चलते कभी मावे में मिलावट, तो कभी घी-तेल में मिलावट की खबर सुनने को मिल जाती है लेकिन घर पर बने हुए पकवानों में मिलावट होने का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में घर पर व्यंजन बनाना ही स्वास्थ्य के हिसाब से ज्यादा लाभदायी होते है।
भांग के लड्डू और पकौड़े
होली के दिन ठंडाई पीने और पिलाने का अपना एक विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यह भगवान शिव का प्रसाद है। इसलिए होली के दिन लोग इसे पूरी श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं। होली के दिन अधिकांश घरों में ठंडाई बनाई जाती है। कई घरों में भांग के लड्डू, भांग के मालपुए और पकौड़े भी बनाए जाते हैं। ऐसे पकवान होली मस्ती का आनंद दोगुना कर देते हैं।
अनूठी परंपरा मालवा की
संस्कृति और संस्कार का पालन करने वाली उषा जोशी का कहना है कि होली पर गहनों से मुंह मीठा कराने की परंपरा भी है। पढ़ने-सुनने में भले ही यह बात अजीब लगे, लेकिन है बिल्कुल सही है। मालवा की लोक परंपरा है कि
जिन घरों में गमी हो जाती है, उन घरों में नाते-रिश्तेदार होली पर रंग डालने जाते हैं। तब शक्कर से बने हार, कंगन व खिलौने साथ ही ले जाते हैं। इनके द्वारा गमी वाले घर में मुंह मीठा करवा कर उत्सव केन शामिल करते है।
शुगर फ्री पकवानों का चलन
दिनोंदिन बढ़ती मधुमेह की बीमारी के मद्देनजर शुगर फ्री पकवानों का चलन काफी बढ़ गया है। जिसके चलते पकवानों की मिठास में कमी आई है, तो वहीं गुझिया, रसगुल्ला आदि मीठे व्यंजनों में शुगर फ्री का उपयोग किया जा रहा है।