हजारों नम आंखों ने अपने प्रिय नेता को दी अंतिम विदाई, आधुनिक गोवा के निर्माता थे श्री पर्रिकर: प्रधानमंत्री

हरमुद्दा

गोवा,18 मार्च। मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह घर से भाजपा कार्यालय से लाई गई । इसके बाद इसे कला अकादमी में भी कुछ समय रखा गया। अंतिम यात्रा के दौरान सड़कों पर चाहने वालों का हुजूम था। शाम को 5.55 बजे कैंपल स्थित एसएजी मैदान में राजकीय सम्मान के पुत्र उत्पल और अभिजात ने मुखाग्नि दी। गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार किया गया। हजारों नम आंखों ने अपने सादगी प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी। वे पंच तत्व में विलीन हो गए।
भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा पहुंचकर पर्रिकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पर्रिकर आधुनिक गोवा के निर्माता थे, उनके फैसलों ने भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया। उनके फैसलों ने भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया।
देश के रक्षामंत्री बने
13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में जन्मे पर्रिकर पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो आईआईटी से पासआउट थे। वह चार बार 2000-2002, 2002-05, 2012-2014 और 14 मार्च 2017-17 मार्च 2019 तक चार बार मुख्यमंत्री रहे। 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह गोवा की राजनीति छोड़कर केंद्र की राजनीति में आएं। इसके बाद पर्रिकर को रक्षामंत्री बनाया गया था।
उत्पल और अभिजात दो बेटे
पर्रिकर की पत्नी मेधा का 2001 में कैंसर से निधन हो गया था। उनके दो बेटे उत्पल और अभिजात हैं। उत्पल ने अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। अभिजात कारोबारी हैं।
पद पर रहते हुए दिवंगत होने वाले देश के 18वें मुख्यमंत्री
पर्रिकर देश के 18वें ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ। उनसे पहले तमिलनाडु की सीएम जयललिता, जम्मू-कश्मीर के शेख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद, आंध्रप्रदेश के वाईएस राजशेखर रेड्डी का निधन भी पद पर रहते हुए ही हुआ था। इनके अलावा गोपीनाथ बोरदोलोई (असम), रविशंकर शुक्ल (मध्यप्रदेश), श्रीकृष्ण सिंह (बिहार), बिधानचंद्र राय (प.बंगाल), मरुतराव कन्नमवार (महाराष्ट्र), बलवंत राय मेहता (गुजरात), सीएन अन्नादुरई (तमिलनाडु), दयानंद बंडोडकर (गोवा), बरकतुल्ला खान (राजस्थान), एमजी रामचंद्रन (तमिलनाडु), चिमनभाई पटेल (गुजरात), बेअंत सिंह (पंजाब) और दोरजी खांडू (अरुणाचल प्रदेश) का निधन भी पद पर रहते ही हुआ।

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