धर्म संस्कृति आध्यात्म : मुनिराज डॉ. संयमरत्न विजयजी ने कहा “हमें कर्म की सजा से बचाती है धर्म की ध्वजा”
🔲 चतुर्थ प्रतिष्ठा वर्षगांठ व ध्वजारोहण पर हुए विभिन्न धार्मिक आयोजन
🔲 निकला चल समारोह-सत्रहभेदी पूजा के साथ ध्वजा लहराई
हरमुद्दा
पिपलौदा, 20 दिसंबर। नगर के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम पर चतुर्थ प्रतिष्ठा वर्षगांठ व ध्वजारोहण कार्यक्रम रविवार को आयोजित हुआ। चल समारोह के बाद सत्रहभेदी पूजा के साथ ध्वजा लहराई।
युग प्रभावक आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी के सुशिष्य मुनिराज डॉ. संयमरत्न विजय जी व मुनिराज भुवनरत्न विजय जी की निश्रा में श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर झंडा चौक से ध्वजा का भव्य चल समारोह निकला जो मुख्य मार्ग से होते हुए श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम पहुँचा, जहाँ विधिकारक द्वारा सत्रहभेदी पूजा पढ़ाई गई व शुभ मुहूर्त में लाभार्थी परिवार द्वारा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर व श्री राजेन्द्र सूरि गुरु मंदिर पर ध्वजा चढ़ाई गई।
परमात्मा का एहसास करने के लिए जरूरी सच्ची आस्था
मुनिराज डॉ. संयमरत्न विजयजी ने कहा कि धर्म की ध्वजा हमें कर्म की सजा से बचाती है। जिस प्रकार हवा दिखाई नहीं देती फिर भी हम उसका एहसास करते है, क्योंकि हवा है तो हम है,ठीक उसी प्रकार परमात्मा का एहसास करने के लिए सच्ची आस्था व भक्ति की आवश्यकता होती है, केवल दुःख में परमात्मा को याद करना भक्ति नही, सुख व दुःख दोनो में परमात्मा को याद करना सच्ची भक्ति है। जिस प्रकार यंत्र के बिना पानी ऊपर नही चढ़ता, ठीक उसी प्रकार जीवन मे मंत्र के बिना साधना के उच्च स्थान पर साधक नहीं पहुँचता। जिसका मन मस्तिष्क साफ होता है, उसका आचार-विचार व व्यवहार भी साफ सुथरा अच्छा व सच्चा होता हैं। नम्रवान को स्वतः ही विद्या व सुख सृमद्धि प्राप्त हो जाती है। जिस प्रकार ध्वजा हमेशा उच्च स्थान पर लहराती है ठीक उसी प्रकार हमें भी साधना की ऊँचाइयों को हाँसिल करते रहना चाहिए। जब कुछ भी नजर नहीं आता, तभी हमें परमात्मा नजर आते हैं। श्रद्धा तो वाईफाई की तरह होती है,जो दिखाई तो नहीं देती, पर सही पासवर्ड डालो तो कनेक्ट हो जाती है। संत भगवान को पाने के लिए दुनिया छोड़ देता है और संसारी संसार को पाने के लिए भगवान को छोड़ देता है। परमात्मा के लिए दुनिया छोड़ना पड़े तो छोड़ देना लेकिन दुनिया के लिए कभी भी परमात्मा को मत छोड़ना। पद और पैसा भगवान् के लिए छोड़ना पड़े तो छोड़ देना लेकिन इनके खातिर परमात्मा को मत छोड़ना। क्योंकि ये एक न एक दिन यूं भी छूटने वाले हैं।मंदिर की वर्षगांठ तो मनाओ लेकिन किसी के प्रति मन में गाँठ मत रखो, क्योंकि जहाँ गाँठ होती है,वहां मधुरता नहीं रहती।
लाभार्थी का किया बहुमान
धाम के प्रचार सचिव प्रफुल जैन ने बताया कि ध्वजा के लाभार्थी श्री संघ अध्यक्ष बाबूलाल ऋषभ कुमार धींग परिवार व इस वर्ष गुरु मंदिर की ध्वजा लाभार्थी रमेशचन्द्र शुभम कोठारी परिवार रतलाम व 2021 से अमर ध्वजा लाभार्थी राकेश कुमार,योगेश कुमार जैन आर.के.परिवार का श्री संघ उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन, वाटिका अध्यक्ष शेलेन्द्र कटारिया व राकेश जैन इंदौर ने बहुमान किया। संचालन वाटिका उपाध्यक्ष शिखर बोहरा व तरुण परिषद राष्ट्रीय महामंत्री हर्ष कटारिया ने किया।