हस्तशिल्प मेला बीच में बंद करना शिल्पकारों के साथ खिलवाड़

🔲 जनप्रतिनिधि की चुप्पी समझ से परे

🔲 जिला प्रशासन की दोहरी नीति क्यों

हरमुद्दा
रतलाम, 30 दिसंबर। हस्तशिल्प विकास निगम द्वारा रतलाम शहर में लगाए गए हस्तशिल्प मेले को जिला प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया। जिला प्रशासन का यह निर्णय शिल्पकारों के साथ खिलवाड़ है। जिला प्रशासन की दोहरी नीति ठीक नहीं है। एक तरफ जिला प्रशासन ने धोलावाड़ में पर्यटन महोत्सव धूमधाम से शुरू कर दिया। वही हस्तशिल्प मेले को बंद कर दिया। इस मामले में जनप्रतिनिधि की चुप्पी भी समझ से परे है।

प्रदेशभर के 50 से अधिक शिल्पकारों और बुनकरों द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट और बेहतर सामग्री का प्रदर्शन और बिक्री की शुरुआत हस्तशिल्प विकास निगम के मेले द्वारा की गई थी। शिल्पकार बेहद खुश और प्रसन्न नजर आ रहे थे कि कोरोना काल के बाद तब कुछ व्यापार गति पकड़ेगा, लेकिन उनकी इस भावनाओं पर कुठाराघात हो गया। जिला प्रशासन के एक निर्णय ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

सैकड़ों पाठकों ने भेजी प्रतिक्रियाएं

इस मुद्दे पर हरमुद्दा डॉट कॉम के सैकड़ों पाठकों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन की दो गली नीति ठीक नहीं है। जिला प्रशासन ने धोलावाड़ पर्यटन महोत्सव शुरू कर दिया। वहां पर कोरोना वायरस का प्रकोप नहीं रहेगा, मगर हस्तशिल्प मेले में जहां 20 से 30 लोग भी नहीं आ रहे थे। उस मेले को कोरोना वायरस के नाम पर बंद करना कहां तक ठीक था? अधिकांश लोगों का यही कहना है ही कि जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में चुप्पी रखी, यह समझ से परे है। जिला प्रशासन ने हस्तशिल्प मेला बंद करवा कर अच्छा नहीं किया। उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है।

सबका विकास दिखावे की बात

हस्त शिल्प प्रदर्शनी में हम भी आतुर थे, ये प्रदर्शनी 31 दिसंबर तक चलने वाली थी। फिर अचानक पता चला कोरोना संक्रमण को देखते हुए, इसे बन्द करवाया गया है। सबका विकास दिखावे की बात है। सवाल हमारे जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन से कोरोना संक्रमण सिर्फ इसी प्रदर्शनी से फैलता ? धोलावाड पर्यटक उत्सव से कोरोना ने दोस्ती की हुई है कि वहां नहीं आएगा ? उत्सव चलने दो। भोपाल क्या प्रशासन का लाडला छोटा बेटा है, जो वहां प्रशासन के डर से कोरोना नहीं आएगा? मुख्यमंत्री जी ने मेले की शुरुवात की। कार्यालयों में उपस्थिति 100% है। रिश्तेदारी है कोरोना की। कार्यालयों में कमर्चारियों में नहीं आएगा जबकि आए दिन संक्रमित निकल रहे है। मौते भी हो रही है। बुनकर और हस्तशिल्पियों को लाकडाउन के समय में कितना आर्थिक नुकसान हुआ होगा, ये दर्द वही समझ सकता है, जिसका रोजगार छीन गया हो, यदि ये प्रदर्शनी चलती तो कुछ आर्थिक रूप से मदद ही मिलती उनको। रतलाम जनप्रतिनिधियों के दिल इतने छोटे और नीति अलग अलग कब से होने लगी ? प्रशासन की भी दोहरी नीति समझ के परे है।

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🔲 इन्दु सिन्हा “इन्दु”
रतलाम (मध्यप्रदेश)
(डायरेक्टर योगधाम, कहानीकार, कवयित्री)

रतलाम से दस गुना ज्यादा संक्रमित आ रहे भोपाल में

रतलाम में शुरू किए गए हस्तशिल्प मेले को कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के मद्देनजर बंद कर दिया गया। जबकि यहां पर हर दिन 20 से 25 लोग संक्रमित आ रहे थे। वही भोपाल में लगभग 200 संक्रमित रोज आ रहे हैं। फिर भी वहां पर मेला शुरू कर दिया गया। आखिर भोपाल में क्यों शुरू कर दिया गया, यह जांच का विषय है? या फिर वहां पर मुख्यमंत्री शुभारंभ किया, इसलिए वह जायज है और रतलाम में शिल्पकारों ने शुरू किया था। लगता है, यह जनप्रतिनिधियों को अच्छा नहीं लगा और बहाना बनाकर जिला प्रशासन के माध्यम से बंद करवा दिया गया।

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🔲 विनोद गहलोत, समाजसेवी

सेवा को कम और कमाई को ज्यादा महत्व

रतलाम में हस्त शिल्प मेला बंद करने और पर्यटन महोत्सव चालू रखने के मुझे प्रमुख 2 कारण लगते है।
सबसे बड़ा कारण हो सकता है कमाई। पर्यटन में मोटी कमाई होती है। बजट को भी तो खत्म करना था। एक टेन्ट में रात रुकने के 5000 मिलते है, जबकी हस्त शिल्प मेला एक सेवा मात्र है, जिससे लोगो को रोजगार मिले पर आज कल सेवा को कम महत्व और कमाई को ज्यादा दिया जाता है।
दूसरी बात रतलाम में मेले का शुभारंभ किसी मंत्री या नेता से नहीं कराई गया। आज कल मंत्री या नेता को प्रशासन के हर काम में चीफ गेस्ट बनाने का एक चलन सा चल गया। जिसके बिना कार्य कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता । मैंने प्रशासन के अधिकारियों को नेता जी का लंबा इंतजार करते देखा है। ऐसे जनप्रतिनिधि और नेता सिर्फ अपना फायदा देखते हैं समाज का नहीं। समाज के लोग जरूर इनको चुनता है लेकिन यह समाज का तिरस्कार ही करते हैं। लगता है शिल्पकार से हस्तशिल्प मेले का शुभारंभ करवाना ही जनप्रतिनिधियों को अच्छा नहीं लगा।

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🔲 राज लुनिया, व्यापारी

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इनका कहना

जिला प्रशासन का निर्णय मान्य, हम कुछ नहीं कर सकते

रतलाम में आयोजित हस्तशिल्प मेले को बंद करना कलेक्टर रतलाम का निर्णय था, जो हमें मान्य हैं, उसमें हम कुछ नहीं कर सकते। भोपाल कलेक्टर को लगता है कि यहां पर मेला चल सकता है तो वह चल रहा है। यह कलेक्टर का निर्णय है कि मेले से संक्रमण बढ़ रहा है या नहीं?

🔲 राजीव शर्मा, एमडी, हस्तशिल्प विकास निगम, भोपाल