 संजय भट्ट


महीना फागुन का शुरू हुआ और मन में होली की हुड़दंग के लिए हिचकियां चलने लगी। क्‍या करेंगे, कैसे करेंगे, सभी कामों की योजना बनने लगी। सब कुछ सोच लिया और उसमें पुराने अनुभवों को भी शामिल कर लिया। अब इंतज़ार था फागुन के साथ शुरू होने वाले होली के हुड़दंग का। जैसे ही पुराने दिनों की याद आती हिचकियां मन-ही-मन में खूब हिलौरे खाती। अब तो रात में सपने भी रंगीन आने लगे थे, होली के रंगों में डूबे कुछ पुराने चेहरे भी सपनों में आने लगे थे। वो घर वालों को छकाना, मुहल्‍ले में कंडों और लकड़ियों की चोरी करना, लोगों से रोक-रोक कर चंदा मांगना और होली के लिए मुहल्‍लेभर में सभी से कुछ-न-कुछ ले लेना। एक-एक कर सभी यादों के झरोखे में झिलमिल हो रहे थे। दोस्‍तों से मिल कर योजना को भी अंतिम रूप दे दिया था।

अब होली आने में एक सप्‍ताह का समय बाकी था। घरों में भी पकवान बनने की तैयारियों पर काम चालू हो गया था, सभी महिलाएं अलग-अलग तरह के पापड़, गुझिया और खारी बनाने का सामान तैयार कर रही थी। पापड़ का तो काम भी शुरू हो गया था। पिछले साल की कड़वी याद कर सभी के मन में कड़वाहट भर जाती। सभी जम कर कोरोना और चीन को कौस रहे थे।

लोगों की बात देश में शांति से रह रहे कोरोना ने सुन ली और होली के रंग में भंग करने का मन बना लिया। कोरोना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। पिछले साल की तरह ही इस साल भी होली की उम्‍मीदों पर पानी फिरता दिखाई देने लगा। होली की हुड़दंग का मज़ा प्रशासन के इंतज़ाम में किरकिरा होने लगा। कोरोना के कारण होली पर हुड़दंग तो दूर घर से बाहर ही नहीं जाने का फरमान जारी हो गया। अब बताओ ये प्रशासन और कोरोना ने मिल कर तो सारी होली के मज़े का कचरा ही कर दिया। न जाने किसकी नजर लग गई। घर में भाभीजी के बनाए पापड़ का मज़ा घर के बाहर कोई ले सकता है न ही अब गुझिया पर ही काम होगा। हुड़दंग के सपने भी रंगीन की जगह सफेद हो चले थे। सोशल डिस्‍टेंसिंग और मास्‍क के साथ होली खेली नहीं जा सकती। वो आते जाते को पकड़ना वो कीचड़ में रगड़ना और ऐसा रंग लगाना कि दो दिन तक शकल ही पहचान में न आए। सारी बातों की हिचकियां आ रही थी। बस नहीं हो पा रहा था वह था होली का हुड़दंग। हां, इसी हुड़दंग के कोरोना इफेक्‍ट से सफेद हुए सपनों में रंग भरने की योजना जारी है। अभी अगर होली के हुड़दंग की हिचकियां आ रही है तो वह फलीभूत भी होगी, आखिर हम आशावादी होने साथ ही सरकारी आदेशों में गलियां निकालने में भी महारत रखते हैं। यूं होली के हुड़दंग के रंगभरे सपनों तथा पकवानों के लिए लपलपाती जीभ के स्‍वाद को छोड़ेंगे नहीं। सरकार कुछ भी कर ले होली पर हुड़दंग तो होगा।

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