मेडिकल कॉलेज! जनप्रतिनिधि वाह वाही के घुंघुरुओं की झंकार पैदा करने की बजाय वास्तविकता से हो रूबरू


🔲 अनिल पांचाल

रतलाम, 29 मार्च। अगर मेडिकल कालेज ना होता तो कोरोना से ग्रस्त रोगियों का क्या होता? इस विषय पर कई बार घुंघुरुओं का झंकार बच चुकी है और हर दो तीन माह में इसकी तारिफों के पुल बांधे जाते रहे है। इधर जैसी ही तारिफ होती है, वैसे ही यहां बवाल खड़ा हो जाता है। पिछले दो तीन दिन से भी लोगों के मरने-गड़ने और कोविड अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है। तेल लगाने वाले आज भी कालेज की खूबियों का बखान करने में पीछे नही है।

8यहां एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों लापरवाहियां समय समय पर उजागर होती रही है। लापरवाहियों का भरपूर और भयानक सिलसिला पूर्व कलेक्टर रुचिका चौहान के तबादले और डिप्टी कलेक्टर को लूप लाईन में डालने के बाद शुरू हुआ जो अब प्रदेश भर में सुर्खियों में बना हुआ है।

यहां कि लापरवाहियों को छिपाने-दबाने में सभी जिम्मेदार शामिल रहे। क्या अफसर तो क्या समाजसेवी, क्या नेता, क्या मीडिया सभी ने कालेज को मंदिर और को कोविड अस्पताल को भगवान बनाने में कोई कसर नही छोड़ी है जिसका खामियाजा आज जनता भुगत रही है।

… और नहीं मिल पाया भोजन का टिफि

चोरी-चकारी की घटनाएं भी यहां हुई जिनकी जांच साल-साल भर बाद भी पूरी नही हो पाई है। हाल और हालात ऐसे है कि पिछले दिनों मीडियाकर्मी ने अपने भाई के लिए भोजन का टिफिन पहुचाया और अंदर जाते ही टिफिन गायब हो गया। भाई शाम तक भूखा रहा और देर रात उसे भोजन नसीब हो पाया।

जोर से बोल दे तो रात में थाने का घेराव

हर रोगी की सिटी स्कीन कराना भी जरूरी है और उसके लिए फ्री गंज की एक दुकान तय कर दी गई है। चिकित्सा विभाग ने यहां एम्बुलेंस रोगियों को लाने और ले जाने के लिए दी है, मगर इनमें से ज्यादातर उपयोग सिटी स्कैन कार्रवाई के लिए हो रहा है।
यहां की खामियों को गिनाने और इन्हे दूर करने का प्रयास करने में ज्यादातर नेता घबराते है क्यूकि नेता, समाजसेवी या जनता ज्यादा जोर से बोल दे तो रात में थाने का घेराव हो जाता है, हड़ताल की धमकी आदि धतकरम आए दिन की बाते है।पूर्व के एक रोगी की मौत और इसके पास से गायब हुए जेवर आदि को लेकर जावरा विधायक ने कालेज प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी जताई तो भाई लोग थाने का घेराव करने पहुच गए। यह अंटस आज तक जारी है और जावरा विधायक को कोरोना संक्रमित तक बता दिया गया।

डीन के तबादले के बाद यहां तख्ता पलट कार्रवाई

पूर्व डीन के तबादले के बाद यहां तख्ता पलट कार्रवाई हो गई और नई घोड़ी नया दाम के चलते सब अपने-अपने हिसाब से काम करने लगे है। कोई अफसर यहां झांकने को तैयार नहीं है। कभी-कभार ये उस समय भेले होते है, जब उज्जैन से अधिकारी बैठक या नियुक्तियों से जुड़ी फाईले निपटाने आते है।

पिछले दिनों लापरवाहियों की बड़ी घटनाएं सामने आई तो अफसर और जनप्रतिनिधियों की चेतना जागृत हुई। मगर इनके जागने से परलोक सिधार चुके लोग वापस नहीं आ सकते है। हम बर्बादी का मंजर यू देखते रहे, काँरवा गुजर गया गुबार देखते रहे। खामियां दूर करने की खाना पूर्ति कुछ दिन चलेगी, जनता चुप, मीडिय़ा चुप और प्रतिवेदन तैयार होकर अपने अपने ठिकानों पर पहुच जाएगा और फिर वो ढर्रा शुरू होगा।

कोविड अस्पताल बनाम ” सामरी का घर”

कोरोना रोगियों को पर्याप्त उपचार देने वाले भगवान अपने भगनत्व का उपयोग सेवा कार्यो में करे। अफसर जिलेवासियों के दुख दर्द का समय समय पर अवलोकन करे। जनप्रतिनिधि वाहवाही के घुंघुरुओं की झंकार पैदा करने की बजाय वास्तविकता से रूबरू हो। फिलहाल इस कालेज का नामाकरण नहीं हुआ है। अगर ऐसी ही लापरवाहियां जारी रही तो जनता खुद इसका रामसे ब्रदर्स की किसी फिल्म की तर्ज पर “सामरी का घर” रख देेगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *