सामयिक गीत : कुछ दायरे बढ़ाना, कुछ फ़ासले मिटाना

मुश्किल को है डराना, मुश्किल से तुम न डरना

 आशीष दशोत्तर

दूरी बना के रखना, ग़लती कोई न करना
मुश्किल को है डराना, मुश्किल से तुम न डरना।

समझा रहे हैं हमको कोरोना के इरादे
हम दूरियाँ बना लें, दिल को क़रीब ला के,
हाथों को जोड़ के ही, रिश्ते अभी निभाना।
दूरी बना के रखना, ग़लती कोई न करना,
मुश्किल को है डराना, मुश्किल से तुम न डरना।

हाथों को खूब धोना, घबरा के तुम न रोना
अपनों से कुछ समझना, सबको ही ये बताना
कुछ दायरे बढ़ाना, कुछ फ़ासले मिटाना।
दूरी बना के रखना, ग़लती कोई न करना,
मुश्किल को है डराना, मुश्किल से तुम न डरना।

समझा रहा है हमको हर बात ही प्रशासन,
उपलब्ध हो रहा है,आसानियों से राशन,
बाज़ार में न जाना, और भीड़ न बढ़ाना।
दूरी बना के रखना, ग़लती कोई न करना।
मुश्किल को है डराना, मुश्किल से तुम न डरना।

आशीष दशोत्तर
    मो. 9827084966

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *