मामला BJP द्वारा जयंत मलैया को नोटिस देने का : पूर्व गृहमंत्री कोठारी ने सवालों की झड़ी लगाकर भाजपा को खड़ा कर दिया कटघरे में
दमोह में मिली हार के कारण भी गिनाए वरिष्ठ भाजपा नेता हिम्मत कोठारी ने
हरमुद्दा
रतलाम, 9 मई। मप्र के पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी भाजपा द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। भाजपा की सियासी घमासान में श्री कोठारी ने खरी खरी बात। बताई और दमोह में मिली भाजपा को करारी हार के मुद्दे पर सवालों की झड़ी लगाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने भाजपा को ही कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। दमोह चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार के मामले में पार्टी द्वारा 7 बार के विधायक जयंत मलैया को नोटिस देने को गलत ठहराया है। उन्होंने इस कार्रवाई को ‘मलैया को बलि का बकरा’ बनाना बताया और हार के कारण भी गिनाए।
दमोह विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद भाजपा में सियासी घमासान मचा हुआ है। यह थमने का नाम नहीं ले रहा। भाजपा ने हार की समीक्षा के बाद दमोह के वरिष्ठ नेता सात बार विधायक रहे जयंत मलैया को नोटिस थमा दिया। इतना ही नहीं उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया और चार मंडल अध्यक्षों को भी पार्टी से ससपेंड कर दिया। इस कार्रवाई को भाजपा के वरिष्ठ नेता और मप्र के पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने गलत बताया है।
ईमानदारी से होना चाहिए हार की समीक्षा
कोठारी का कहना है कि पार्टी को हार की समीक्षा ईमानदारी से होना चाहिए। तथ्यों के आधार पर समीक्षा बैठक की जानी चाहिए और भविष्य में हम तभी सबक सीख सकते हैं। मलैया जी का परिवार जनसंघ के समय से जब सत्ता नहीं थी। हमारे पास और दूर-दूर तक सत्ता आते दिख नहीं रही थी, उस जमाने से काम करने वाला परिवार है। उनको नोटिस देना, मैं मानता हूं कि किसी को बलि का बकरा बनाना है। इसकी ईमानदारी से समीक्षा होना चाहिए।
पार्टी में लेने की क्या आवश्यकता थी राहुल लोधी को ?
पूर्व गृह मंत्री कोठारी का कहना है कि- राहुल लोधी को पार्टी में लेने की क्या आवश्यकता थी? क्या वो विधारों से प्रभावित होकर आया था? अगर विचारों से प्रभावित होकर आया था तो थोड़े देिन इन्तजार करता। वो दल-बदल करके आया, आपने उसको उनको निगम का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा दे दिया। उसको पार्टी का टिकट दे दिया। यह हम क्यों कर रहे हैं?
‘दल-बदल कानून का तो अस्तित्व ही नहीं बचा’
माननीय अटल जी भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में जब दल-बदल कानून लाए तो यह उद्देश्य था कि दल-बदल न हो। स्वार्थ के लिए दल बदले नहीं। उससे गंदी राजनीति न हो। आज उस दल-बदल कानून का कोई अस्तित्व ही नहीं बचा। अन्य तरीकों से दल-बदल करवाया जा रहा है। उसकी मूल भावना खत्म हो रही है। सौदेबाजी से दल-बदल हो रहा है। ये कहां का न्याय है? जब मैं दल-बदल पसंद नहीं करता तो फिर मैं दूसरे से कैसे अपेक्षा कर सकता हूं कि वह दल बदले। उसको मैं कैसे ठीक मान सकता हूं? पार्टी जब अपना कार्यकर्ता दल-बदल कर के जाता है तो उसको ठीक नहीं मानती, उसको गद्दार मानती है। अगर दूसरी पार्टी का आदमी हमारे दल में आ रहा है तो हम उसको ठीक कैसे मानते हैं?
तीसरी पीढ़ी के नेतृत्व में दूसरी पीढ़ी ने काम किया, अब उपेक्षा क्यों?
कोठारी का मानना है कि पार्टी वही अच्छी होती है जो एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी को तैयार करे। परिवारवाद नहीं आए। ठाकरे जी के जमाने में, पटवा जी के जमाने में हम लोग दूसरी पीढ़ी के लोग थे। ठाकरे जी ने, प्यारेलाल जी, पटवा जी ने, जोशी जी ने हमको तैयार किया, हमको आगे बढ़ाया। हम दूसरी पीढ़ी के लोग तैयार हुए। हमारे सामने तीसरी पीढ़ी आई शिवराज जी की, नरेंद्र सिंह तोमर जी की। हम लोगों ने साथ मिलकर काम किया। तीसरी पीढ़ी के नेतृत्व में दूसरी पीढ़ी के लोगों ने काम किया। क्या कारण है कि तीसरी पीढ़ी की उपेक्षा हो रही है। हम पद नहीं चाहते, पर तीसरी पीढ़ी से सलाह-मशविरा और उनसे बातचीत क्यों नहीं कर रहे। पार्टी के मंच पर कुछ बात कह सकते थे, अब तो वह पद्धति ही खत्म हो गई। सिर्फ नेताओं के भाषण होते हैं, वहां कार्यकर्ताओं को बोलने का अवसर नहीं मिलता है। कार्यकर्ता कहां बोले?
सामूहिक नेतृत्व पर विश्वास नहीं होने से पार्टी को नुकसान
कोठारी ने कहा में एक व्यक्ति की तानाशाही चलने संबंधी सवाल पर भाजपा नेता कोठारी ने कहा- मैं इसे तानाशाही नहीं कहूंगा। यह सही है कि पार्टी अब सामूहिक नेतृत्व पर विश्वास नहीं करती है। पहले सामूहिक नेतृत्व चलता था। पहले जो सामूहिक नेतृत्व से जो बेहतर किया जाता था, वह अब नहीं हो रहा। इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है।
श्री कोठारी की नजर में क्या रहे दमोह में भाजपा की हार के कारण
पूर्व गृहमंत्री कोठारी ने कहा; अगर आप हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं तो, महंगाई एक कारण है। बिना कारण के राहुल लोधी को टिकट देना एक कारण है। मध्यम वर्ग ने जनसंघ को जमाया (जब उनसे कहा गया था कि यह बनियों या व्यापारियों की पार्टी है), जिस वर्ग ने गालियां खाईं और हमे सहयोग दिया। आज सबसे ज्यादा उपेक्षा अगर किसी की हो रही है तो वह मध्यमवर्ग की ही हो रही है। क्या गुनाह किया मध्यम वर्ग ने? बड़े-बड़े माल, ऑनलाइन कारोबार, पूंजीपति आ गए। ये पूंजीति जिस तेजी से सब जगह कब्जा कर रहा है उससे सारी व्यवस्था कुछ लोगों के हाथ में जा रही है।
‘… ऐसे प्रयास करने की जरूरत है ताकि भविष्य में हार न हो’
कोठारी के अनुसार 10-10 बट्टी साबुन की लाकर धंधा करने वाला व्यक्ति आज परेशान है। कोरोना में तो उसकी कम ही टूट गई है। सरकार की मदद की आवश्यकता है। किसान की मदद हो रही है, होनी भी चाहिए किंतु निम्न-मध्यम वर्ग की उपेक्षा क्यों हो रही है? यह भी एक कारण है हार का। जो हमारा वोट बैंक था, मध्यमवर्ग हमारा वोट बैंक था, उस मध्यम वर्ग, गरीबों और महारे समर्थकों को संभालना अति आवश्यक है। उसकी कठिनाइयों व परेशानियों को दूर करना आवश्यक है। ईमानदारी से समीक्षा कर हार के कारणों का पता कर भविष्य में हार न हो, इसके प्रयास किए जाने चाहिए।