प्रासंगिक जानकारी जो है जरूरी : कोरोना और सर्वाइवल गिल्ट
श्वेता नागर
अभी हाल ही में समाचारों में ‘सर्वाइवल’ गिल्ट के बारे में सुनने को मिल रहा है। सर्वाइवल गिल्ट के लक्षण कोरोना से ठीक हुए मरीजों में दिखाई दे रहे हैं। इसमें मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि वह दूसरों की मदद कर सकता था, लेकिन वह नहीं कर पाया या किसी घटना के लिए खुद को दोषी मानता है।
इस स्थिति में चिकित्सीय परामर्श के अलावा पारिवारिक सदस्यों और मित्रों की सकारात्मक भूमिका महत्वपूर्ण है। कोरोना से जंग जीत कर स्वस्थ हुए व्यक्तियों के साथ संवेदनशीलता और धैर्य आवश्यक है, क्योंकि कोरोना जैसी बीमारी ने शारीरिक रूप से व्यक्ति को जितना कमजोर किया है, उतना ही मानसिक रूप से भी आहत किया है। इसका कारण है कि इस बीमारी ने हमारे आस -पास एक नकारात्मकता की दीवार खड़ी कर दी है। जिन्हें कोरोना हुआ है या हो चुका है वे उसके बाद के परिणामों से नकारात्मक प्रभाव में हैं और जिन्हें कोरोना तो नहीं हुआ है, लेकिन वे अपने आसपास का माहौल देखकर नकारात्मक हो रहे हैं या बेचैन हो रहे हैं।
सकारात्मकता, सहानुभूति और संयम
इसलिए इस समय केवल सकारात्मक संवाद और सहानुभूति ही कोरोना के इस नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव को दूर कर सकता है, क्योंकि शब्द भी औषधि का गुण रखते हैं। यदि उनका प्रयोग सही तरीके से किया जाए। हमारे शास्त्रों में भी मंत्र शक्ति की महिमा बताई गई है, जो शब्द शक्ति ही है ।जैसे महा मृत्युंजय मंत्र का जाप किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए करने पर रोगी को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। वैसे ही दुर्गा सप्तशती में भी ‘दुर्गा रक्षा कवच’ का वर्णन है, जिसमें शब्द शक्ति के माध्यम से शरीर के सभी अंगों की सुरक्षा के लिए देवी से प्रार्थना की गई है, अर्थात मंत्र यानी शब्दों की सकारात्मक ऊर्जा जो हर नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करती है।
श्वेता नागर