भाजपा संगठन में राठौर क्षत्रिय समाज की उपेक्षा की तीव्र निंदा
उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर समर्थन के लिए होगा पुनर्विचार
हरमुद्दा
रतलाम, 10 जून। अखिल भारतीय राठौर क्षत्रिय महासभा ने भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों की सूची में राठौर क्षत्रिय समाज को बिल्कुल प्रतिनिधित्व नहीं देने पर आपत्ति व्यक्त की है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में अखिल भारतीय राठौर क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रतन सिंह राठौर( इंदौर) राष्ट्रीय महामंत्री देवीलाल राठौर( शिवपुरी) एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष चुलेश्वरसिंह राठौर( छत्तीसगढ़ )ने इस संबंध में आपत्ती पत्र लिखा है।
महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रकाश राठौर (इंदौर) व सहप्रवक्ता जगदीश राठौर पत्रकार (रतलाम) ने महासभा द्वारा लिखे गए पत्र से हरमुद्दा को अवगत कराया कि भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश संगठन की सूची में क्षत्रिय राठौर समाज का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं किया गया है जबकि राठौर क्षत्रिय समाज के करीब 90% समाजजन भारतीय जनता पार्टी से जुड़े होकर प्रत्येक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूरी तरह मदद करते हैं। पूर्व में राठौर क्षत्रिय समाज को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर मंत्रिमंडल में भी स्थान दिया जाता था यही नहीं राठौर समाज से जुड़े पत्रकारों को भी शासन की समितियों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।
कुछ वर्षों से हो रही उपेक्षा मनाने और नियुक्तियों में
कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि कई वर्षों से भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने वाले समर्पित एवं अनुशासित कार्यकर्ताओं को शासन द्वारा नियुक्त हो रही विभिन्न शासन स्तरीय कमेटियों/ समितियों, नगरपालिका, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, कृषि उपज मंडी व अन्य विभागीय समितियों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर घोर आपत्ति है यदि राठौर समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो राठौर क्षत्रिय समाज भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने के लिए पुनर्विचार कर सकता है।
नहीं तो समर्थन के मामले में करना होगा पुनर्विचार
राष्ट्रीय महासभा ने विभिन्न नेताओं को पत्रों के माध्यम से क्षत्रिय राठौर समाज के तिरस्कार की सूचना से अवगत करा रही है । भाजपा संगठन का शीर्ष नेतृत्व हमारी इस मांग को शीघ्र पूरा करें नहीं तो हमें विवश होकर समर्थन के मामले में पुनर्विचार करना पड़ेगा ।