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नहीं देखा कभी ऐसा जुनून : तेज बारिश में पदयात्रा से वैक्सीनेशन के लिए आह्वान, रतलाम में सड़क पर नजर नहीं आए जिम्मेदार महान

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हरमुद्दा
रतलाम, 19 जून। कोरोना वायरस के टीकाकरण के लिए तेज बारिश भी पिपलौदा स्थानीय प्रशासन के जोश जुनून और उत्साह को कम नहीं कर पाई भीगे हुए आम जनता से आह्वान किया। वहीं रतलाम में प्रशासनिक अमला 1 दर्जन से अधिक गाड़ियों में सवार होकर निकला, जिनके कांच भी बन्द थे और गाड़ियों में पर्दे भी लगे हुए थे। सड़क पर जिला प्रशासन के जिम्मेदार महान नजर नहीं आए।

फ्लैग मार्च पुलिस थाना पिपलौदा से जैसे ही प्रारम्भ हुआ तेज बारिश शुरू हो गई, लेकिन वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान का दायित्व और जोश के आगे पानी की एक न चली। पूरे महकमें ने पूरे जोश के साथ पानी मे भीगते हुए नगर में फ्लैग मार्च पूर्ण किया।

21 से 30 जून तक चलेगा टीकाकरण का महाअभियान

जिले में भी 21 जून से आरंभ होने वाले कोरोना टीकाकरण महा अभियान की तैयारियां वृहद स्तर पर जारी है। इसी क्रम में नगर में भी कोरोना टीकाकरण जागरूकता को लेकर प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी एव जनप्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए फ्लैग मार्च निकाला।

जिन्होंने खोया परिजनों को वे भी समझ गए वैक्सीनेशन का महत्व

फ्लैग मार्च में एनाउंसमेन्ट करने के साथ ही फुटपाथ पर व्यापार करने वाले दुकानदारों तथा आम जन को अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियो ने वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक कर उन्हें समझाइश दी और बताया कि वैक्सीन लगवाने पर आप और आपके परिवार को सुरक्षा कवच प्राप्त होगा। कोरोना की दूसरी लहर में हमने देखा है कि हमारे और हमारे परिवार के लिए वैक्सीन लगवाना  कितना आवश्यक है।

यह थे मौजूद

फ्लैग मार्च में तहसीलदार किरण बरबड़े, नायब तहसीलदार चंदन तिवारी, थाना प्रभारी दीपक कुमार मण्डलोई, सब इंस्पेक्टर रविन्द्र मालवीय, माया सरलाम, अंजुमन कमेटी सदर एजाज़ उद्दीन शैख़, पूर्व सोसाइटी अध्य्क्ष महेश नांदेचाग्रेस नगर अध्यक्ष अंतर सिंह शरण नगर परिषद की समस्त टीम,तहसील के समस्त कोटवारगण एव नगर सुरक्षा समिति सदस्य उपस्थित रहे।

ऐसा भी फ्लैग मार्च

रतलाम में शाम को जिला प्रशासन का अमला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के मार्गदर्शन में गाड़ियों में सवार होकर निकला। जन जागरूकता के लिए एक व्यक्ति नियुक्त कर दिया। वे आह्वान करते रहे। बाकी प्रशासनिक अधिकारी गाड़ी में बैठे रहे। गाड़ियों में कौन-कौन अधिकारी बैठे हुए थे। यह आमजन को नजर नहीं आ रहा था। गाड़ियों के कांच बंद थे, वहीं एक गाड़ी में तो पर्दे तक लगे हुए थे। सड़कों पर लोग यह कहते हुए नजर आए कि यह कैसा फ्लैग मार्च है। पेट्रोल इतना महंगा और यह बर्बाद करने पर तुले हुए। फ्लैग मार्च तो पैदल चलने का नाम है, गाड़ियों में कैसा फ्लैग मार्च। अधिकारी बाहर नहीं दिख रहे थे। कई अधिकारी तो मोबाइल पर ही बिजी थे।

खुली जीप व रथ में समाजसेवी संगठनों की बालिकाएं जरूर थी। जबकि वे कोई शहर की सेलिब्रिटी भी नहीं थी। बात जब एक व्यक्ति की ही मानना थी तो फिर इतना लवाजमा क्यों निकाला गया?

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