” पाप को पुण्य में भुगतान की आदत है मुझे, यानी हर दर्द के सम्मान की आदत है मुझे। तुम्हें अमृत हो मुबारक मैं ज़हर पी लूँगा, मैं तो शंकर हूँ कि विषपान की आदत है मुझे ।”
अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार अजहर हाशमी मध्यप्रदेश लेखक संघ के प्रतिष्ठित’ प्रमोद शिरोणकर विरहमन स्मृति राष्ट्र प्रेरणा सम्मान 2021′ से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर विशेष
प्रो. अज़हर हाशमी जी का कहना है कि ‘यह सम्मान रतलाम की जनता के स्नेह और आशीष का परिणाम है इसलिए इस सम्मान को मै रतलाम को समर्पित करता हूँ। ‘
श्वेता नागर
ये पंक्तियाँ एक ऐसे व्यक्तित्व के जीवन की कहानी कह रही हैं जिनके जीवन पथ और कर्म पथ पर कई बार संकट के बादल छाए और विषम परिस्थितियों के तूफान आए लेकिन वे निरंतर श्री मद भगवत गीता के ‘निष्काम कर्म ‘ को अपने जीवन का ध्येय और सूत्र वाक्य बनाकर निर्भीक ,निष्पक्ष और बेबाक तरीके से अपनी लेखनी और वाणी के माध्यम से समाज और राष्ट्र में सर्वधर्म समभाव का सेतु बनाया वहीं भारतीय संस्कृति के महान और उदार भावों का प्रचार किया और वेदों उपनिषदों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाया ।समाज और राष्ट्र को समर्पित एक ऐसे ही महान व्यक्तित्व वरिष्ठ साहित्यकार ,प्रखर चिंतक और राष्ट्रवादी विचारक प्रो.अज़हर हाशमी जी को उनके अमूल्य साहित्यिक योगदान के लिए मध्यप्रदेश लेखक संघ के प्रतिष्ठित’ प्रमोद शिरढोणकर विरहमन स्मृति राष्ट्र प्रेरणा सम्मान 2021′ से सम्मानित किए जाने की घोषणा निश्चित रूप से रतलाम शहर और प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है।
प्रो. अज़हर हाशमी जी को उनकी कृति ‘अपना ही गण तंत्र है बंधु ‘में निहित रचनाओं के लिए यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। उनकी इस कृति में राष्ट्र के प्रति उनके समर्पित भाव, भारतीय संस्कृति की गौरव गाथा और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण रचनाओं का समावेश है जो निश्चित ही युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का पुंज रहेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रो.अजहर हाशमी जी की ‘मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए ‘ कालजयी रचना है जिसने उन्हें केवल देश में ही नही अपितु विश्व में प्रसिद्धि दिलवाई। इसी प्रकार उनकी रचना ‘बेटियाँ शुभकामनाएं है ‘मध्यप्रदेश शासन के बेटी बचाओ अभियान का हिस्सा रही और यही रचना मध्यप्रदेश बोर्ड की कक्षा 10 वीं की पाठ्य पुस्तक हिंदी विशिष्ट (नवनीत) में भी पढाई जाती है |
प्रो. अज़हर हाशमी जी केवल पद्य में ही नही गद्य में भी निष्णात है इसका प्रमाण है उनकी संस्मरणों और समीक्षाओं की पुस्तक ‘ सृजन के सह यात्री’ और’ व्यंग्य संग्रह ‘ मै भी खाऊँ तू भी खा ‘ हैं।
गौरतलब है कि सन् 1996 में मध्यप्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति का प्रतिष्ठित सम्मान ‘अहिंदी भाषी हिंदी सेवी सम्मान ‘ से भी उन्हे नवाजा जा चुका है। शासकीय सेवा में उनके योगदान के लिए उन्हे सेवा निवृत्ति पर माननीय राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर द्वारा भी राजभवन में 12 अगस्त 2011 को सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी प्रदेश और देश की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा भी उन्हें सम्मानित और पुरस्कृत किया जा चुका है।
एक और महत्वपूर्ण और दुर्लभ उपलब्धि प्रो.हाशमी जी के साहित्यिक यात्रा से जुड़ी हुई है वह है उनके जीवन और साहित्य पर तीन अलग -अलग विश्वविद्यालयों द्वारा तीन अलग -अलग विधाओं में शोध कार्य (ph.d)किया जाना ।
इस सम्मान पर प्रो. अज़हर हाशमी जी का कहना है कि ‘यह सम्मान रतलाम की जनता के स्नेह और आशीष का परिणाम है इसलिए इस सम्मान को मै रतलाम को समर्पित करता हूँ। ‘