कुछ खरी-खरी : … और जीत गया आतंकवाद
प्रो. डीके शर्मा
आखिर अफगानिस्तान पर आतंकवादियों का कब्जा हो गया। गत माह अमेरिका सेना की वापसी के बाद से ही करीब-करीब तय हो ही गया था कि अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जा कर लेगा। एक देश के स्वतंत्र लोग आतंकवाद की काल कोठरी में बंद हो गए। अब कभी भी आतंकवादी तालीबान से मुक्ति नहीं मिल सकती। महिलाओं पर बलात्कार प्रारम्भ हो गए है। उन्होंने 15 से 45 वर्ष की महिलाओं की तलाश प्रारम्भ कर दी।
मेरे पूर्व आलेख ‘अभागा देश अफगानिस्तान’ में लिखा था कि पाकिस्तान तालिबान पूरी मदद कर रहा है। एक कमजोर देश पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के सामने कैसे ठहर सकता था। अब सांसें टूट जाएगी स्वतंत्रता प्रिय लोगों की। देश जीवित नर्क बन जाएगा, आतकंवाद जीत गया बिना अमेरिकी सेना के।
दोष दुनिया के बड़े-बड़े देशों का
दोष अफगान लोगों का नहीं, दोष दुनिया के बड़े-बड़े देशों का है । सबसे बड़ा दोषी तो अमेरिका का है कि 20 वर्ष तक वहां रहने के बाद अचानक अफगानिस्तान को असहाय छोड़ कर चल दिए । स्वतंत्रता की दुहाई देने वाले बड़े देश रूस, ब्रिटेन, यूरोप के देश एक छोटे से देश को बचा नहीं सकते? पाकिस्तान खुलेआम आतंकवाद का घर बन गया, परन्तु कोई भी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते है।
फिर भी सब चुप क्यों?
यूएनओ किस काम का है, बंद कर देना चाहिए। अमेरिका ने जिन आतंककियों पर लाखों डॉलर का इनाम घोषित किया है, वे पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे है।
आतंकवादियों अफ्रिका के ही छोटे-छोटे देशों में गदर मचा रखा है। बड़े देश मिलकर आतंकवाद के विरूद्ध एक होकर उसे समाप्त क्यों नहीं करते? दुनिया का एक भी देश ऐसा नहीं है, जहां आतंकियों ने कत्लेआम ना किया हो ? फिर भी सब चुप क्यों? एक-दूसरे पर बम फेंकने को तैयार पर आतंकवाद के विरूद्ध कार्यवाही क्यों नहीं करते, आखिर क्यों? अफगानिस्तान के आतंकी शासन को पाकिस्तान मान्यता देने ही वाला है। चीन भी दे देगा। चीन ने कह भी दिया कि है हम तालिबान से अच्छे रिश्ते रखेंगे।
कुछ शर्म करो
आतंकियों की मदद कौन कर रहा है ? कहां से पैसा आता है हथियार खरीदने के लिए ? इराक में जब आतंकी घुसे थे तब उनके पास हजारों युद्ध वाहन थे, कहां से आया? कुछ शर्म करो। बड़े देश एक होकर आतंकवाद को समाप्त करें, वरना एक दिन वह सबको निगल लेगा ? यह आलेख लिखते-लिखते खबर आई कि काबुल हवाई अड्डे पर लोग हवाई जहाज के पीछे-पीछे दौड़ रहे है। गोली चली, कुछ लोग मरें भी है। लोग हवाई जहाज से गिरे भी है । इस अराजकता का जिम्मेदार कौन ? अमेरिका को अफगानिस्तान छोडऩे के पहले सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए थी। अब भारत को भी आतंकवाद के विरूद्ध और अधिक कारगर उपाय करने की आवश्यकता है।
प्रो. डीके शर्मा,
रतलाम, (मप्र) मो. 7999499980
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